आज दिनांक 11 जनवरी 2024 को लोक शिक्षण अभियान ट्रस्ट द्वारा ज्ञानपीठ केन्द्र 1, स्वरूप पार्क जी0 टी0 रोड साहिबाबाद के प्रांगण में महान व्यक्तित्व के धनी, स्वतन्त्रता सेनानी, भारत रत्न, भारत के द्वितीय प्रधानमंत्री की पुण्यतिथि का आयोजन संस्था के संस्थापक/अध्यक्ष राम दुलार यादव शिक्षाविद के नेतृत्व में आयोजित किया गया, कार्यक्रम की अध्यक्षता एस0 एन0 अवस्थी ने किया, मुख्य अतिथि समाजसेवी ओम प्रकाश अरोड़ा रहे, आयोजन इंजी0 धीरेन्द्र यादव और संचालन श्रमिक नेता अनिल मिश्र ने किया, तथा कार्यक्रम का सफल संचालन करने के लिए संस्था ने उन्हे माला पहना, शाल भेंटकर सम्मानित किया, सभी साथियों ने शास्त्री के चित्र पर माल्यार्पण और पुष्प अर्पित कर उन्हे स्मरण किया, भजन और गीत के माध्यम से उन्हे सम्राट सिंह, पंडित विनोद त्रिपाठी, हुकुम सिंह, राजेन्द्र सिंह, तेज बहादुर भारती ने श्रद्धांजलि दी, इन गीतकारों को भी माला पहना, शाल भेंटकर सम्मानित किया गया, एक स्वर में सभी ने 21 वीं शदी में फैलाये जा रहे घोर पाखंड को देश के लिए अशुभ माना, और कहा कि इससे आम जनता मानसिक गुलामी की तरफ बढ़ रही है|

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए समाजवादी विचारक राम दुलार यादव ने कहा कि देश की जनता के दिलों पर राज्य करने वाले प्रेरणा पुरुष नेता लाल बहादुर शास्त्री थे, इनके एक आह्वान पर जनता ने एक दिन का उपवास व्रत रख लिया, इसी का परिणाम रहा कि वह विदेशी ताकतों के सामने कभी झुके नहीं, शास्त्री जी ईमानदारी, नैतिकता की मिसाल फिजूल खर्ची के सख्त विरोधी रहे, वे देश के संसाधनों की लूट को देश द्रोह से कम नहीं मानते थे, वह स्वयं इसका पालन करते थे, उन्होने प्रधामन्त्री को मिली गाड़ी को 11 किमी0 चलाने पर ही 36 पैसे प्रति किमी0 के हिसाब से सरकारी खजाने में ललिता शास्त्री जी से कह कर पैसे जमा करवाया, वह महात्मा गांधी द्वारा चलाये गए सभी आंदोलनों में भाग लिया, भारत छोड़ो आंदोलन में “करो या मरो” के आह्वान को पलट दिया, और कहा कि “मरो नहीं मारो” जब तक अंग्रेज़ हमारे देश को गुलामी से मुक्त न कर दें, उन्हे सजा हुई लेकिन वह लगातार देश को आजाद कराने में लगे रहे, आजादी के लिए वह सात साल तक जेल में रहे, उन्होने देश, प्रदेश में आजादी के बाद महत्वपूर्ण विभागों का सफलता पूर्वक संचालन किया, जब आप रेल मंत्री थे तो एक भयंकर रेल दुर्घटना होने के कारण नैतिकता और उच्च आदर्शों के आधार पर त्याग पत्र दे दिया, लेकिन आज आजादी के 76 साल में ही स्थिति बदल गयी है, 300 लोगों की बालासोर रेल हादसे में जान चली जाने और सैकड़ों लोगों के हताहत होने पर भी रेल मंत्री जी त्याग पत्र नहीं देते, यह शर्मनाक हालत है, अपनी मेहनत, लगन, ईमानदारी, अनुशासन के कारण कम संसाधनों में जीवन वसर करने वाले महात्मा गांधी की नीतियों और शिक्षाओं के प्रबल समर्थक लाल बहादुर शास्त्री भारत के प्रधान मंत्री पद को सुशोभित किया, उनका कहना था कि “मेहनत, प्रार्थना और पूजा के समान है” लेकिन आज हर क्षेत्र में भ्रष्टाचार का बोलबाला है, देश में पाखंड, झूठ, लूट, नफरत, अहंकार, द्वेष, असहिष्णुता का वातावरण बनाया जा रहा है, देश की जनता में भ्रम, अंधविश्ववास, अंधश्रद्धा के बीज बोये जा रहे जो भविष्य में जातिवाद, धार्मिक पाखंड को बढ़ाएगे, बेरोजगारी, मंहगाई, संगठित अपराध और भ्रष्टाचार से मुक्ति के लिए कार्य करने की आवश्यकता है, तभी हम शास्त्री जी स्मरण करने के लायक हो सकते है, उनके बताए मार्ग पर चलने के लिए उनके उदात्त गुणों, सद्भाव, भाईचारा, त्याग, नैतिकता, सत्यता और निष्ठा को अपनाना होगा| स्मृति दिवस में शामिल हो श्रद्धा सुमन अर्पित किया, राम दुलार यादव, ड़ा0 देवकर्ण चौहान, एस0 एन0 अवस्थी, एच0के0 चेट्टी, ज्योति चेट्टी, ओम प्रकाश अरोड़ा, अनिल मिश्र, सम्राट सिंह यादव, हुकुम सिंह, बैजनाथ रजक, तेज बहादुर भारती, ब्रह्म प्रकाश, रामेश्वर यादव, पंडित विनोद त्रिपाठी, राजेन्द्र सिंह, मुनीव यादव, एस0एन0 जायसवाल, अमृतलाल चौरसिया, हरेन्द्र यादव, फूल चंद वर्मा, विजय मिश्र, अंशु ठाकुर, हरिकृष्ण, खुमान, अमर बहादुर, हाजी मोहम्मद सलाम, अवधेश यादव, भक्ति यादव, सुभाष, अखिलेश शुक्ल आदि |

                                                                                                                                                        भवदीय हरिशंकरयादव (कार्यालयमंत्री)

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