यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू करने को लेकर एक बार फिर चर्चा का दौर शुरू हो गया है। दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को भोपाल में UCC की वकालत करते नजर आए। पीएम मोदी ने कहा कि देश दो कानूनों से नहीं चल सकता।

पीएम मोदी के इस बयान के बाद आम आदमी पार्टी (AAP) की ओर से एक ऐसा बयान आया कि सभी हैरान हो गए। AAP ने UCC को लेकर अपनी सहमति जताई है। ऐसे में क्या UCC वाले बयान के बाद केजरीवाल की पार्टी को बड़ा नुकसान होने वाला है? क्या जो पटना में विपक्षी एकता की बैठक हुई थी वह अब टूटने वाली है? नाराज कांग्रेस का अगला कदम क्या होगा? आइए एक-एक कर सब समझते हैं…

AAP को क्या नुकसान?
दरअसल, AAP के संगठन महासचिव संदीप पाठक ने एक न्यूज चैनल से बातचीत करते हुए कहा कि UCC के मुद्दे पर हम सैद्धांतिक तौर पर सरकार का सपोर्ट करते हैं। उन्होंने आगे कहा कि यह मुद्दा सभी धर्मों और सम्प्रदायों से जुड़ा है, इसलिए सभी से बातचीत और चर्चा करके इसे लागू करना चाहिए। इस बयान के बाद यह साफ हो गया है कि UCC को लेकर AAP भाजपा के साथ है। केंद्र सरकार के ट्रांसफर-पोस्टिंग वाले अध्यादेश के खिलाफ सीएम केजरीवाल विपक्षी नेताओं को एकजुट कर रहे हैं। कांग्रेस के अलावा कुल 11 दलों ने AAP के सपोर्ट का ऐलान भी कर दिया है। अध्यादेश वाले मुद्दे को लेकर अब तक कांग्रेस चुप्पी साधे हुए है। लेकिन UCC वाले बयान के बाद ऐसा माना जा रहा है कि कांग्रेस के तेवर पहले से और सख्त हो सकते हैं। दरअसल, कांग्रेस UCC को लेकर केंद्र सरकार को घेरने में जुटी है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने कहा कि UCC लागू होने के बाद देश में विभाजन बढ़ेगा और सरकार द्वारा इसे लोगों पर थोपा नहीं जा सकता है।

क्या टूट जाएगी विपक्षी एकता?
बीते शुक्रवार पटना में भाजपा विरोधी दलों का महाजुटान हुआ था। 15 दलों के तीस से अधिक नेता इस बैठक में शामिल हुए। AAP के सबसे बड़े नेता अरविंद केजरीवाल भी मीटिंग में पहुंचे। वहां उन्होंने कांग्रेस से अध्यादेश वाले मुद्दे पर सपोर्ट मांगा। सूत्रों के हवाले से बताया गया कि बैठक में सीएम केजरीवाल और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे में नोकझोंक भी हुई। हालांकि कांग्रेस ने अपना स्टैंड क्लियर नहीं किया। बैठक के तुरंत बाद केजरीवाल दिल्ली के लिए निकल गए और उनकी पार्टी ने एक बयान जारी कर कांग्रेस के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर किया। बयान में कहा गया कि अगर कांग्रेस अध्यादेश को लेकर अपना स्टैंड नहीं क्लियर करती है तो आने वाले समय में AAP उन बैठक में शामिल नहीं हो सकेगी जिसमें कांग्रेस भी शामिल होगी। इस बयान के बाद ऐसा माना जा रहा था कि विपक्षी एकता कमजोर हो गई है। हालांकि अब केजरीवाल की पार्टी ने खुलकर UCC का सपोर्ट कर दिया है। विपक्षी दलों में शामिल सभी दलों में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी है। कांग्रेस UCC के मुद्दे पर भाजपा को घेरना चाहती है। अब ऐसा माना जा रहा है कि कांग्रेस की नाराजगी AAP से और बढ़ सकती है।

केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ अगर कांग्रेस AAP का सपोर्ट नहीं करती है तब सीएम केजरीवाल की मुसीबतें बढ़ सकती हैं। वहीं अगर कांग्रेस और AAP के बीच खाई ऐसे ही बढ़ती गई तो विपक्षी एकता को भी भारी झटका लग सकता है। ऐसे में अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या UCC वाले बयान के बाद कांग्रेस AAP के लिए केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ खड़ी होती है या सीएम केजरीवाल को इस बयान की वजह से भारी नुकसान सहना पड़ेगा?

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