अयोध्या के बाद काशी-मथुरा को लेकर हिंदू और मुस्लिम समाज के बीच चल रही कोर्टबाजी और बयानबाजी को लेकर इंडिया आर्कियोलॉजिकल सर्वे (ASI) के पूर्व रीजनल डायरेक्टर केके मुहम्मद ने दोनों समुदायों को एक सुझाव दिया है। उन्होंने कहा कि काशी और मथुरा हिंदुओं के लिए मक्का-मदीना के समान है। ऐसे में मुस्लिम समाज को इन दोनों स्थानों पर मौजूद ज्ञानवापी और जामा मस्जिद से अपना दावा छोड़ देना चाहिए। इसके साथ ही हिंदी समाज से कहा कि वह इन दोनों के अलावा किसी मस्जिद पर कोई दावा न करे।
केके मुहम्मद अयोध्या राम जन्मभूमि को लेकर हुए विवाद में बाबरी मस्जिद की खुदाई में हिस्सा लिया था और साक्ष्य जुटाए थे। एक मीडिया ग्रुप से बातचीत केके मुहम्मद ने कहा कि हिंदू समुदाय के लिए अयोध्या का राम मंदिर, काशी का विश्वनाथ मंदिर और मथुरा का कृष्ण जन्म भूमि बिल्कुल वैसा ही है, जैसे मुसलमानों के लिए मक्का और मदीना है। ऐसे में मुस्लिम समुदाय को यहां मौजूद ज्ञानवापी मस्जिद और जामा मस्जिद वाली जगहों को हिंदू समुदाय को देना चाहिए।
केक ने इसके साथ ही हिंदू समुदाय से भी यह अपील की कि उन्हें अब और मस्जिदों पर दावा नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि दूसरे जगहों पर दावा करने से सिर्फ तनाव बढ़ेगा। इन तीन जगहों के अलावा हिंदू समुदाय की तरफ से कोई मांग अब नहीं आनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि कभी न खत्म होने वाली मांगों से समस्या का हल नहीं होगा
गौरतलब है कि केके की सलाह से इतर हिंदुत्ववादी संगठनों की ओर से इन तीन के साथ ही कई मस्जिदों, मजारों और मकबरों के हिंदू मंदिर होने का दावा किया जा रहा है। यहां तक कि दुनिया के सात आश्चर्यों में शामिल ताजमहल पर भी हिंदू मंदिर होने का दावा किया जाता रहा है। ताजमहल को मंदिर बताने के दावे को केके मुहम्मद ने सीरे से खारिज भी किया है। ताजमहल की जमीन को लेकर केके ने कहा कि वह जमीन असल में राजा मान सिंह की थी। बाद में जय सिंह को ट्रांसफर कर दी गई और फिर शाहजहां को सौंप दी गई थी। इसके डॉक्युमेंटेशन बीकानेर और जयपुर के म्यूजियम में मौजूद हैं।
