तृणमूल कांग्रेस से निलंबित विधायक हुमायूं कबीर उच्च न्यायलय से बड़ी राहत मिली है। शुक्रवार को हाईकोर्ट ने मुर्शिदाबाद में बाबरी मस्जिद निर्माण केस में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। अदालत ने शांति की जिम्मेदारी राज्य सरकार पर छोड़ दी है। कबीर ने 6 दिसंबर को बाबरी जैसी मस्जिद की नींव रखने का ऐलान किया है। विधायक ने अदालत के फैसले पर खुशी जाहिर की है।

फैसले पर कबीर ने कहा, ‘मैंने पहले ही कह दिया था कि मैं नींव रखूंगा। हाईकोर्ट के जज ने जो निर्णय लिया, उससे मैं बहुत खुश हूं…। मैं हाईकोर्ट के जज को बधाई देता हूं…। यह मेरा संवैधानिक अधिकार है…। जो लोग हाईकोर्ट गए थे, उन्हें मुंहतोड़ जवाब मिला है…।’

टीएमसी ने विधायक कबीर को गुरुवार को पार्टी से निलंबित कर दिया था। पीटीआई भाषा के अनुसार, निलंबन के कुछ ही देर बाद कबीर ने घोषणा की कि वह विधायक पद से इस्तीफा दे देंगे, इस महीने के अंत में अपनी पार्टी बनाएंगे और प्रस्तावित कार्यक्रम को बढ़ाएंगे, भले ही इसके लिए उन्हें ‘गिरफ्तार’ किया जाए या मार ही क्यों न दिया जाए।

लंबन की खबर तब सामने आई जब कबीर बहरामपुर में मुख्यमंत्री की एसआईआर विरोधी रैली के आयोजन स्थल पर बैठे थे, जहां तृणमूल ने उन्हें पहले आमंत्रित किया था। कबीर ने इसे ‘जानबूझकर किया गया अपमान’ बताया और कहा कि उनके खिलाफ ‘साजिश’ रची गई है। उन्होंने कहा, ‘मुझे कोई पत्र नहीं मिला है। लेकिन मैं शुक्रवार या सोमवार को विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा दे दूंगा।’

कबीर ने कहा कि उनका नया संगठन अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में कुल 294 में से 135 सीट पर उम्मीदवार उतारेगा। सत्तारूढ़ पार्टी में लौटने से पहले कभी कांग्रेस, कभी तृणमूल और कभी भाजपा में रहे कबीर ने कहा कि बेलडांगा में छह दिसंबर का शिलान्यास कार्यक्रम रद्द नहीं किया जाएगा।

उन्होंने चेतावनी के लहजे में कहा, ‘(शिलान्यास कार्यक्रम में) लाखों लोग शामिल होंगे। अगर प्रशासन हमें रोकने की कोशिश करेगा, तो एनएच-12 जाम किया जा सकता है।’ उन्होंने कहा कि उन्हें चुप कराने के लिए उनकी हत्या भी की जा सकती है। कबीर ने कहा कि अगर उन्हें रोका गया, तो वह धरने पर बैठेंगे और ‘गिरफ्तारी देंगे’। उन्होंने कहा कि उन्हें ‘न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है।’

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