राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डा. मोहन भागवत मंगलवार को लखनऊ के संघ कार्यालय भारती भवन पहुंचे। यहां उन्होंने स्वयंसेवकों से कहा कि शताब्दी वर्ष में संघ पूरी शक्ति हिन्दुत्व के एजेंडे को मजबूती देने में लगाएगा। इस मुहिम में सब एकरंग होकर जुटेंगे। इसके लिए रूठों को भी मनाया जाएगा। संघ की शाखाओं का विस्तार खासतौर से हर ग्राम पंचायत तक होगा। शहरी शाखाओं की संख्या भी बढ़ाई जाएगी। शताब्दी वर्ष के दौरान स्वयं सेवक घर-घर जाकर संघ का इतिहास बताएं।

भागवत लखीमपुर खीरी में कबीरपंथी असंगदेव महाराज आश्रम जाने के लिए मंगलवार को सुबह तड़के लखनऊ पहुंचे थे। क्षेत्र व प्रांत के कुछ संघ पदाधिकारियों, विचार परिवार के सहयोगी संगठनों के चुनिंदा सदस्यों व लखनऊ विश्वविद्यालय के कई शिक्षकों से संघ प्रमुख ने कहा कि हर हाल में हिन्दुत्व को बढ़ावा देने के लिए जुटें। हिन्दुत्व की मजबूती से ही समाज मजबूत होगा। शताब्दी वर्ष के तहत संघ का विचार जन-जन तक पहुंचाएं। लोगों को संघ की 100 वर्ष की यात्रा के बारे में बताएं कि संघ का गठन कैसे और किन परिस्थितियों में हुआ। जिन्हें कोई भ्रांति हो, उसे दूर करें।

उन्होंने कहा कि संघ के जो कार्यकर्ता किसी कारण से सक्रिय नहीं हैं। नाराज स्वयं सेवकों और पदाधिकारियों से उसका कारण पूछें। उसे सूचीबद्ध करें। उनसे संपर्क करें। उनके सक्रिय न रहने का कारण जानिए। इन कारणों की जानकारी वरिष्ठों से साझा कीजिए। स्व:, शील, समरसता को अपनाने के साथ ही दूसरों को प्रेरित करें। संघ के मूल मंत्रों, विकसित भारत के लिए संकल्प, पंच प्रण और विचारों से सभी को अवगत कराएं। संघ प्रमुख भारती भवन में करीब तीन घंटे रुके। उसके बाद लखीमपुर खीरी रवाना हो गए।

हम सब एक ही पूर्वज की संतान

संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि हम सब समान पूर्वजों की संतान हैं। भले ही हमारी भाषा, प्रांत या उपासना पद्धति कुछ भी हो। हम सब भारतीय हैं और हमारी एक ही मां है-भारत माता। उन्होंने कहा कि दुनिया हमारी ओर अपेक्षा की दृष्टि से देख रही है। दुनिया को हमें जीतकर नहीं, जोड़कर प्रभावित करना है। संघ प्रमुख मोहन भागवत मंगलवार को लखीमपुर में गोला के मुस्तफाबाद स्थित कबीरधाम आश्रम में आयोजित सत्संग को संबोधित कर रहे थे।

कबीरधाम आश्रम में मंगलवार दोपहर पहुंचे संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत ने संतों से मुलाकात की और उनके साथ संवाद किया। सत्संग में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि पंथ-सम्प्रदाय विवाद के लिए नहीं हैं। अगर उपासना ठीक से हो तो कोई झगड़ा ही नहीं होगा। दुनिया के लिए व्यक्ति महत्वपूर्ण है लेकिन हमारे लिए परिवार ही समाज की इकाई है। उन्होंने कहा कि हमारी परंपरा में भौतिकता के साथ आध्यात्मिकता भी है। यही वजह है कि हमारे पूर्वजों ने मैक्सिको से लेकर साइबेरिया तक भ्रमण किया। वहां ज्ञान दिया लेकिन किसी मुल्क पर न तो कब्जा किया और न ही किसी का धर्म परिवर्तन कराया। हमने दुनिया में अपनत्व का संदेश दिया है। पहले दुनिया हमको हेय की दृष्टि से देखती थी लेकिन अब दुनिया हमें अपेक्षा की निगाह से देखती है। भागवत ने संदेश दिया कि विविधताओं को सहन नहीं बल्कि स्वीकार व सम्मान करना सीखना चाहिए। संघ प्रमुख ने आश्रम में सत्संग भवन का शिलान्यास भी किया।

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