सुप्रीम कोर्ट ने नीतीश कटारा हत्याकांड मामले में जेल की सजा काट रहे विकास यादव की मां की स्वास्थ्य स्थिति की जांच के लिए मेडिकल बोर्ड के गठन में देरी को लेकर उत्तर प्रदेश की सरकार को एक बार फिर फटकार लगाई है। पीठ ने कहा कि आपको मेडिकल बोर्ड गठित करने में 10 दिन लग गए। इसके लिए कुछ स्पष्टीकरण की जरूरत है। आदेश में हमारी नरम भाषा को हल्के में नहीं लें। राज्य के पास याचिकाकर्ता के खिलाफ कुछ (तथ्य) हो सकते हैं, लेकिन राज्य को निष्पक्ष होना चाहिए। मामला वर्ष 2002 के हत्या में 25 साल की जेल की सजा काट रहे यादव ने अपनी बीमार मां की देखभाल के लिए अंतरिम जमानत का अनुरोध किया है। इससे पहले सिविल मुकदमों में आपराधिक धाराएं लगाने और बच्चों की तस्करी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को फटकार लगाई थी। प्रयागराज में बुलडोजर एक्शन पर तो सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाते हुए अंतरात्मा को झकझोर देने वाली कार्रवाई कह दिया था।
मंगलवार को न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने इस बात पर आश्चर्य जताया कि दो अप्रैल के आदेश के बावजूद गाजियाबाद के यशोदा अस्पताल में भर्ती यादव की मां की स्वास्थ्य स्थिति की जांच के लिए मेडिकल बोर्ड गठित करने में 10 दिन लग गए। अदालत ने कहा कि जब तक मेडिकल बोर्ड उनके स्वास्थ्य की स्थिति की जांच के लिए आया, तब तक यादव की मां को अस्पताल से छुट्टी मिल चुकी थी।
यादव की ओर से पेश वकील ने कहा कि यादव की मां को सोमवार को फिर से अस्पताल में भर्ती कराया गया। शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया कि अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के चिकित्सा अधीक्षक द्वारा एक नया मेडिकल बोर्ड गठित किया जाए और तुरंत मूल्यांकन कर एक रिपोर्ट पेश की जाए। वकील ने यादव की मां के मेडिकल दस्तावेज रिकॉर्ड पर रखे और कहा कि मां की हालत फरवरी में खराब हो गई थी।
उन्होंने कहा कि यादव की मां गहन चिकित्सा इकाई (आईसीयू) में थीं और उन्होंने सर्जरी से इनकार कर दिया था। अपनी अंतरिम जमानत याचिका में यादव ने कहा कि उसकी मां उमेश यादव गंभीर रूप से बीमार हैं और आईसीयू में भर्ती हैं। याचिका में कहा गया है कि इलाज करने वाले चिकित्सकों ने उनकी मेडिकल स्थिति को देखते हुए तत्काल सर्जरी की सलाह दी है।
याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता की मां की गंभीर स्थिति के कारण उनकी (यादव की) सहायता और मौजूदगी जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट ने तीन अक्टूबर, 2016 को यादव को बिना किसी छूट के जेल की सजा सुनाई थी।
यादव उत्तर प्रदेश के नेता डीपी यादव का बेटा है। उसके चचेरे भाई विशाल यादव को भी व्यवसायी कटारा के अपहरण और हत्या के जुर्म में सजा सुनाई गई थी। दोनों ही विकास की बहन भारती यादव के साथ कटारा के कथित संबंध के खिलाफ थे, क्योंकि वे अलग-अलग जातियों से थे।
मामले में एक अन्य सह-दोषी सुखदेव पहलवान को बिना किसी छूट के 20 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी। इससे पहले, दिल्ली उच्च न्यायालय ने विकास और विशाल यादव को निचली अदालत द्वारा दी गई आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखते हुए दोनों को बिना किसी छूट के 30 साल की सजा सुनाई थी। अदालत ने तीसरे दोषी पहलवान को 25 साल की जेल की सजा सुनाई थी। दिल्ली जेल प्रशासन ने पिछले साल यादव के आचरण को असंतोषजनक पाए जाने के बाद उसकी छूट के अनुरोध को खारिज कर दिया था।