उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव आज (सोमवार, 14 अप्रैल को) संविधान निर्माता बाबासाहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर की जयंती के मौके पर बदले-बदले नजर आए। इस दौरान वह गले में नीला गमछा डाले और सिर पर लाल टोपी पहने नजर आए। उन्होंने आम्बेडकरवाद पर भी लंबी-चौड़ी बातें की। बाद में सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर भी एक लंबी पोस्ट की, जिसमें उन्होंने न सिर्फ बाबासाहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर जी की जयंती के पावन अवसर पर सबको हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दी बल्कि उनके विचारों को साझा किया और कहा कि अब समय आ गया है कि सामाजिक न्याय की स्थापना के लिए संकल्प लिया जाए।

उन्होंने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, ‘‘आइए, ‘सामाजिक न्याय के राज’ की स्थापना के लिए अपने ‘स्वाभिमान-स्वमान’ की अनुभूति को और सुदृढ़ करके, एकजुट होकर बाबासाहेब की देन व धरोहर ‘संविधान और आरक्षण’ बचाने के ‘पीडीए’ के आंदोलन को नयी ताकत प्रदान करें व दोहराएं कि ‘संविधान ही संजीवनी’ है और ‘संविधान ही ढाल है’ और ये भी कि जब तक संविधान सुरक्षित रहेगा, तब तक हम सबका मान-सम्मान-स्वाभिमान और अधिकार सुरक्षित रहेगा।’’

‘पीडीए’ की एकजुटता ही सुनहरा भविष्य

उन्होंने आगे कहा, ‘‘आइए, ‘स्वमान’ के तहत हम अपने सौहार्दपूर्ण, समाजवादी, पंथ निरपेक्ष, लोकतांत्रिक मानक और मूल्यों के साथ ही अपनी ‘स्वयं की एकता’ के मूल्य को समझकर, इस ‘पीडीए’ रूपी एकजुटता की परिवर्तनकारी शक्ति का भी मान समझें।’’ यादव ने कहा, ‘स्वाभिमान-स्वमान’ के माध्यम से ही ‘पीडीए’ समाज के लोग अपनी निर्णायक शक्ति हासिल करके उत्पीड़न, अत्याचार और पीड़ा से मुक्त होकर, स्वाभिमान से जीने का हक और अधिकार हासिल कर पाएंगे और दमनकारी, उत्पीड़नकारी, वर्चस्ववादी, प्रभुत्ववादी, शक्तिकामी नकारात्मक ताक़तों को सांविधानिक जवाब दे पाएंगे।’’ सपा नेता ने कहा कि ‘पीडीए’ की एकता ही संविधान और आरक्षण बचाएगी, ‘पीडीए’ की एकजुटता ही सुनहरा भविष्य बनाएगी। आइए अपने ‘स्वाभिमान-स्वमान’ के इस संघर्ष को समारोह में बदल दें।

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