बहुत जल्द लोगों को यूपी में प्लास्टिक मिश्रित सड़कें नजर आएंगी। ये डामर की सड़क से अधिक मजबूत और टिकाऊ होंगी। सीसी रोड की तरह इनके बारिश में भी खराब होने की आशंका नहीं रहेगी। ये पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से भी उपयोगी होंगी। आपको बताते चलें कि सड़क निर्माण में कचरे में निकलने वाले प्लास्टिक का उपयोग करने से सड़क मजबूत होगी। प्लास्टिक कचरे से बनी सड़क पानी भी कम सोखेगी। अगर हम बात करें सहारनपुर की तो यहां अभी डामर और सीमेंट-कंक्रीट की सड़कों का प्रचलन ज्यादा है। सीमेंट-कंक्रीट तड़क जाता है जबकि डामर ज्यादा गर्मी होने पर पिघलने लगता है और बारिश में उखड़ जाता है। इस समस्या से निजात के लिए जिले में अब प्लास्टिक कोडेट सड़कें बनाने की योजना तैयार की गई है।
36 गांवों से कूड़ा उठान, प्लास्टिक अलग कर सड़कों में होगा इस्तेमाल
शहर की भांति अब ग्रामीण इलाकों में भी डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन किया जा रहा है। इसके लिए पंचायत राज विभाग की टीम काम कर रही है। डीपीआरओ आलोक शर्मा ने बताया कि चंद रुपये में टीम घर-घर कूड़े का उठान कर रही है, जिसकी रसीद भी हर माह पंचायत ग्रामीणों को उपलब्ध कराई जा रही है। पंचायत राज विभाग के स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण योजना के तहत यह कार्य किया जा रहा है। ग्राम पंचायतों में तैनात सफाई कर्मचारी हर दिन ई-रिक्शा से हर घर पर सुबह के समय दस्तक देकर यह कूड़ा उठा रहे है। इसके लिए बाकयदा उन्हें रिकार्ड भी दिया है। इस कूड़े से भी प्लास्टिक को अलग कर सड़कों में इस्तेमाल किया जाएगा।
सहारनपुर समेत सूबे के 36 जिलों को आदेश जारी किया
सरकार के ग्रामीण मंत्रालय ने सहारनपुर समेत सूबे के 36 जिलों को आदेश जारी किया। कहा कि ग्रामीण इलाकों में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत नवीनीकरण कार्य तहत 1545.732 किमी लंबी 234 सड़कों के निर्माण में प्लास्टिक वेस्ट का उपयोग किया जाना है। पंचायत राज विभाग द्वारा हर जिले में दो से तीन की संख्या में लगभग 16-16 लाख रुपये से बनवाई गईं प्लास्टिक अवशिष्ट प्रबंधन केंद्र एकत्रित प्लास्टिक वेस्ट को पीएमजेएसवाई विभाग को उपलब्ध कराया जाएगा। सहारनपुर में 24 किमी की सड़कों का निर्माण कराया जाना है। मानक के अनुसार एक किमी सड़क निर्माण पर लगभग एक टन प्लास्टिक का उपयोग होना है। इस तरत प्रस्तावित मार्गों पर 1550 टन प्लास्टिक की खपत होगी। इसमें 30 एमएम बिटुमिनस कंक्रीट का उपयोग होगा।