जय प्रकाश मिश्रा जौनपुर

पितृ पक्ष के दिन पितरों और पूर्वजों की आत्माओं की शांति और उनकी आत्मा की मुक्ति के लिए समर्पित होते हैं। पितृ पक्ष हर साल भाद्रपद महीने की पूर्णिमा के दिन से शुरू होते हैं और सर्व पितृ अमावस्या तक चलते हैं। इस दौरान विशेष अनुष्ठान, पूजा और व्रत किए जाते हैं.
पितृ पक्ष का पालन, परिवार की खुशहाली और पितरों की आत्मा की शांति के लिए महत्वपूर्ण होता है. इस समय में किए गए पुण्य कार्य न केवल पितरों के लिए, बल्कि पूरे परिवार के लिए भी शुभ माने जाते हैं। पितृपक्ष ष्षुरू हो चुका है जो दो अक्टूबर तक चलेंगे।ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पितरों को जल अर्पित करने का सबसे अच्छा समय दोपहर 11ः30 से 12ः30 बजे के बीच का होता है
पितृ पक्ष हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो पूर्वजों यानी पितरों को श्रद्धांजलि देने के लिए मनाया जाता है. यह पर्व आमतौर पर 16 दिनों तक चलता है और इस दौरान लोग अपने पितरों की शांति और प्रसन्नता के लिए श्राद्ध करते हैं. यह विशेष रूप से वह समय होता है जब पितरों, पूर्वजों, और दिवंगत आत्माओं के सम्मान और शांति के लिए हम उनको याद करते हैं और उनके सम्मान में श्राद्ध कर्म और पिंडदान आदि करते हैं. मान्यता है कि पितृ पक्ष में किए गए श्राद्ध और पिंडदान से पितरों को शांति मिलती है और वे प्रसन्न होकर अपने वंशजों पर आशीर्वाद बरसाते हैं. माना जाता है कि पितृ पक्ष में किए गए अच्छे कर्मों का फल भी हमारे पितरों को मिलता है और इससे हमारे परिवार में सुख- शांति बनी रहती है।
पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और श्राद्ध का आयोजन करें. यह क्रिया पिंड दान, अन्न दान, और जल दान के माध्यम से की जाती है। इस दौरान ब्राह्मणों को भोजन कराना और दान देना पुण्यकारी माना जाता है। इससे पितरों को शांति मिलती है और परिवार में समृद्धि आती है। अपने पूर्वजों के प्रति श्रद्धा और सम्मान दिखाएं. उनकी याद में विशेष पूजा और अनुष्ठान करना इन दिनों में बहुत ही शुभ माना जाता है। गौ माता की सेवा करना और उन्हें भोजन कराना भी पितरों की आत्मा की शांति के लिए जरूरी होता है. इसलिए इन दिनों में गाय की सेवा जरूर करनी चाहिए। इस दौरान अच्छे कर्म और सदाचार का पालन करें. पितृ पक्ष में दान-पुण्य करना बहुत ही शुभ माना जाता है इससे परिवार में खुशहाली बनी रहती है।
पितृ पक्ष के दौरान मांसाहार और मदिरा का सेवन न करें. क्योंकि यह समय पुण्य और धार्मिक कर्मों का होता है। पितृ पक्ष के दिनों में घर में नकारात्मकता और झगड़े से बचना चाहिए. घर मेंशांतिपूर्ण और सकारात्मक माहौल बनाए रखें। पितृ पक्ष के दौरान धार्मिक नियमों का पालन करना जरूरी होता है. अनुष्ठान और पूर्वजों की पूजा की अनदेखी न करें। पितृ पक्ष के दिनों में पितरों के लिए दान-पुण्य और धार्मिक कार्यों को छोड़ना सही नहीं होता. इन दिनों जो भी शुभ कार्य कर रहे हैं उसे पूरा जरूर करें।

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