नई दिल्‍ली। देश के 11वें राष्ट्रपति और मिसाइल मैन के नाम से पहचाने जाने वाले डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की 15 अक्टूबर यानी कल जयंती है। सादगी, सौम्‍यता, समर्पण और ईमानदारी की मिसाल रहे डॉ. कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में स्थित धनुषकोडी में हुआ था।

डॉ. कलाम ने देश के पहले स्वदेशी सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल एसएलवी-3 को विकसित करने के लिए निदेशक के रूप में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। कलाम की जयंती पर आइए हम आपको बताते हैं, उनकी निजी जिंदगी से जुड़े कुछ बेहद अहम और सीख देने वाले किस्से…

किस्सा नंबर-1:  ऐसे बना ‘कलाम सूट’

बात उन दिनों की है, जब  25 जुलाई 2002 डॉ. कलाम राष्ट्रपति बने थे। दर्जी कलाम के लिए बंद गले के सूट लेकर आए थे, लेकिन कलाम को ये सूट पसंद नहीं आए। कलाम ने कहा- मैं तो इसको पहनकर सांस ही नहीं ले सकता। दर्जी परेशान होकर सोचने लगे कि क्या किया जाए। तब कलाम ने सलाह दी-  आप इसे गर्दन के पास से थोड़ा काट दीजिए। इसके बाद दर्जी ने वैसा ही किया। फिर क्‍या था कलाम के इस कट सूट को ‘कलाम सूट’ कहा जाने लगा।

किस्सा नंबर-2: जब अटल ने लगाया गले, दिया मंत्री बनने का प्रस्ताव

पत्रकार राज चेंगप्पा ने अपनी किताब ‘वेपंस ऑफ पीस’ जिक्र किया है। यह किस्सा भी डॉ कलाम से जुड़ा है। दरअसल, एक बैठक में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जब कलाम का अटल बिहारी वाजपेयी से परिचय कराया तो उन्होंने कलाम से हाथ मिलाने की बजाए उन्हें गले लगा लिया था।

इसके बाद जब अटल बिहारी वाजपेयी दूसरी बार प्रधानमंत्री बने थे तो उन्होंने कलाम को अपने मंत्रिमंडल में शामिल होने का न्योता दिया था, लेकिन डॉ. कलाम ने विनम्रतापूर्वक इस पद को अस्वीकार कर दिया था। कलाम ने कहा था- ‘रक्षा शोध और परमाणु परीक्षण कार्यक्रम अपने अंतिम चरण में पहुंच रहा है। वो अपनी वर्तमान जिम्मेदारियों को निभाकर देश की बेहतर सेवा कर सकते हैं।’

किस्सा नंबर-3: राष्ट्रपति भवन में रखा परिवार के खर्च हिसाब

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के सचिव रहे पीएम नायर ने एक एक इंटरव्यू में बताया था- मई 2006 की बात है।  कलाम राष्ट्रपति थे, उन्होंने अपने परिवार के करीब 52 लोगों को राष्ट्रपति भवन में आमंत्रित किया था। ये लोग आठ दिन तक राष्ट्रपति भवन में रुके थे। इस दौरान कलाम ने उनके राष्ट्रपति भवन में रुकने का किराया तक अपनी जेब से चुकाया था।

मेहमान जब तक राष्ट्रपति भवन में रुके तब तक एक-एक प्याली चाय तक का हिसाब भी रखा गया। मेहमानों के जाने के बाद कलाम ने अपने अकाउंट से तीन लाख बावन हजार रुपये का चेक काटकर राष्ट्रपति भवन कार्यालय में जमा किया था।

किस्सा नंबर-4: तंजानिया के बच्चों की बचाई जिंदगी

सितंबर 2000 की बात है। कलाम तंजानिया की यात्रा पर गए थे। इस दौरान उनको पता चला कि वहां जन्मजात दिल की बीमारी से पीड़ित बच्चों की इलाज की कमी के चलते मौत हो रही हैं। कलाम ने तत्कालीन एयर इंडिया के अध्यक्ष वी तुलसीदास से इन बच्चों को दारेसलाम से हैदराबाद लाने को कहा।

कलाम के कहने पर करीब 24 बच्चों को भारत लाया गया। यहां उनका ऑपरेशन हुआ। कलाम ने 15 अक्टूबर 2005 को अपने 74 वें जन्मदिन की शुरुआत हृदय रोग से पीड़ित तंजानिया के बच्चों से मिलकर की। उन्होंने हर बच्चे के सिर पर हाथ फेरा और उन्हें टॉफी का एक एक डिब्बा दिया, जिन्हें वो दिल्ली से लेकर आए थे।

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