Haryana Election Survey: हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव का ऐलान इलेक्शन कमिशन ने कर दिया है। जम्मू कश्मीर में तीन तो हरियाणा में एक फेज में वोट डाले जाएंगे, जबकि चार अक्टूबर को दोनों राज्यों के नतीजों का भी ऐलान हो जाएगा। चुनावी शेड्यूल जारी होते ही हरियाणा का एक ओपिनियन पोल सामने आया है। इस सर्वे में किसी भी दल को पिछली बार की तरह ही बहुमत मिलता नहीं दिखाया गया है। हालांकि, इस बार करीबी मुकाबला देखने को मिल सकता है।

टाइम्स नाऊ और मैटराइज के सर्वे के अनुसार, बीजेपी गठबंधन को सबसे ज्यादा 35.2 फीसदी वोट मिल सकते हैं, जबकि कांग्रेस को 31.6 फीसदी, जेजेपी को 12.4 फीसदी और अन्य को 20.8 फीसदी वोट मिलने की संभावना है। हरियाणा में बहुमत का आंकड़ा 46 है, लेकिन किसी भी दल को इतनी सीटें मिलती नहीं दिख रहीं। सर्वे के अनुसार, बीजेपी गठबंधन को 37-42, कांग्रेस को 33-38, जेजेपी को तीन से आठ और अन्य को सात से 12 सीटें मिल सकती हैं। यानी कि इस बार फिर से जेजेपी के दुष्यंत चौटाला की सरकार बनाने में अहम भूमिका हो सकती है।

सैंपल साइज की बात करें तो सर्वे के लिए 23 हजार से ज्यादा लोगों से बात की गई है, जिसमें पुरुष, महिलाएं और फर्स्ट टाइम वोटर्स शामिल हैं। वोटर्स से सवाल किया गया कि नायब सिंह सैनी की बतौर मुख्यमंत्री कैसी परफॉर्मेंस रही? इस पर 40 फीसदी ने बहुत बढ़िया बताया, 21 फीसदी ने औसत, 24 फीसदी ने अच्छी नहीं और 15 फीसदी ने कह नहीं सकते जवाब दिया। दुष्यंत चौटाला के बारे में जब पूछा गया कि उनका रोल क्या रहने वाला है? इस पर 24 फीसदी ने कहा कि वे चुनाव से पहले या फिर बाद में बीजेपी गठबंधन के साथ जाएंगे, जबकि 44 फीसदी ने कहा कि वे कांग्रेस के साथ जा सकते हैं, जबकि 22 फीसदी ने कहा कि दुष्यंत चौटाला किसी भी गठबंधन का हिस्सा नहीं रहेंगे।

हरियाणा चुनाव के महत्वपूर्ण मुद्दे कौन से हैं? इस पर 39 फीसदी ने मुख्यमंत्री कैंडिडेंट को बताया, गठबंधन को 26 फीसदी, किसानों के मुद्दे पर 23 फीसदी लोगों ने सहमति जताई। इसके अलावा, मुख्यमंत्री पद के लिए कौन सा चेहरा पसंदीदा है? इस सवाल पर सबसे ज्यादा नायब सिंह सैनी को 29 फीसदी, भूपिंदर सिंह हुड्डा को 27 फीसदी और दुष्यंत चौटाला को 9 फीसदी लोगों ने वोट दिया। हरियाणा में अग्निवीर स्कीम भी बड़ा मुद्दा है। सर्वे में इससे जुड़ा भी सवाल किया गया। पूछा गया कि क्या आप राहुल गांधी की अग्निवीर स्कीम को रद्द करने वाली बात का समर्थन करते हैं? इस पर 29 फीसदी ने हां जवाब दिया, जबकि 56 फीसदी ने नहीं में जवाब दिया। इसके अलावा, 15 फीसदी लोग ऐसे थे, जिन्होंने कहा कि वे कह नहीं सकते हैं।

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