झाँसी | मेडिकल क्षेत्र में स्थित राघवेन्द्र अस्पताल में भारत कि आठवीं एवं विश्ब की 41वीं दुर्लभ एवं जन्मजात वीमारी के सफल आपरेशन हेतू पत्रकार वार्ता का आयोजन किया गया. पत्रकार वार्ता में बालरोग सर्जन डॉ अंकित सिंह ने बताया की हाल ही में ब्लेडर एक्सस्ट्रोफी नाम की एक दुर्लभ व जटिल तरीके की जन्मजात बीमारी से पीड़ित जिला इटावा ग्राम मसूद की एक छः माह की बच्ची की सफलता पूर्वक सर्जरी की. और बच्ची को इस दुर्लभ बीमारी से मुक्ति दिलाई। जन्मजात बीमारी से पीड़ित बच्ची को इलाज के लिए डॉ अंकित सिंह के पास लाया गया। इस समस्या के कारण रोगी के पेट की दीवार का आगे का भाग अनुपस्थित था, जिस कारण पेट के आगे का हिस्से से यूरिनल ब्लैडर (पेशाब संग्रह) बाहर आ गया था।
बच्ची के अस्पताल में भर्ती होने के बाद डॉ अंकित सिंह (पेडियाट्रिक सर्जन) एवं उनकी टीम के द्वारा 6 माह की बच्ची का 5 घंटे की जटिल सर्जरी की गई जिसमें मूत्राशय को संपूण रूप से बनाया गया और अविकसित जनाना अंग को पूर्ण रूप से सही किया गया। डॉ. अंकित सिंह (अस्पताल के बाल रोग सर्जन) ने बताया कि ऑपरेशन के बाद मरीज पूरी निरंतरता के साथ मूत्रमार्ग के माध्यम से पेशाब कर सकेगी। ऑर्थोपेडिक प्रक्रिया में पेल्विक हड्डियों को नियंत्रित तरीके से दोनों तरफ से तोड़ा गया था और पेल्विक हड्डियों की दिशा बदलकर पेल्विक हड्डियों के आगे के हिस्से को एक साथ लाया गया। इसके अलावा, मोटी मार्सेलिन टेप का उपयोग करके रोगी की पेल्विक हड्डियों को एक साथ लाने के लिए एक नई तकनीक का उपयोग किया गया, क्योंकि स्टेनलेस स्टील के तार आमतौर पर बच्ची की हड्ड़ियों के लिए खतरनाक होते हैं। पेल्विक हड्डियों को स्थिर करने के लिए एक बाहरी फिक्सेटर का उपयोग किया गया। उन्होंने कहा कि हमे यह बताते हुए गौरव महसूस हो रहा है कि बच्ची अब चलने, दौड़ने और अपने दोस्तों के साथ खेलने में सक्षम है।
यह सर्जरी जो कि अब तक विश्व में रजिस्टर्ड नंबर विश्व की 41वी सर्जरी तथा भारत की आठवीं सफल सर्जरी की गई. बच्ची के सफल ऑपरेशन के बाद बच्ची के परिवारजन ने डॉक्टर अंकित सिंह पीडियाट्रिक सर्जन व उनकी डॉक्टरों की टीम का धन्यवाद ज्ञापित किया
डॉ. अंकित सिंह ने बताया कि ब्लैडर एक्सस्ट्रोफी एक दुर्लभ जन्म दोष है, जो दस लाख में से लगभग दो बच्चों में होला है। मूत्राशय बाहर होने के कारण इस बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति स्वाभाविक रूप से पेशाब करने में असमर्थ होता है। लंबे समय तक ब्लैडर एक्सस्ट्रोफी की समस्या को नजरअंदाज करने से निचली पेल्विक हड्डियां अलग होने लगती हैं। इसलिए जब तक पेल्विक हड्डियां एक दूसरे के करीब नहीं आती तब तक इस जटिल समस्या का उपचार किया नहीं जा सकता।
राघवेन्द्र अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉ. आर आर सिंह एवं डॉ संगीता सिंह ने कहा कि इस प्रकार की जटिल और चुनौतीपूर्ण सर्जरी केवल एक बहु- विषयक टीम और अनुभवी एनेस्थेटिक, गहन देखभाल और पैरामेडिक बैंकअप के साथ ही संभव है। पिछले कुछ वर्षों राघवेन्द्र हॉस्पिटल विभिन्न जटिल मामलों के गुणवत्तापूर्ण उपचार का केंद्र बन गया है, क्योंकि समस्त बुंदेलखंड और अन्य प्रदेशों से चुनौतीपूर्ण तकलीफों से पीड़ित मरीजों को अस्पताल में भेजा जाता है।