सीएम योगी का हेलीकॉप्टर दिन के 12:25 बजे पुलिस लाइन के हेलीपैड पर उतरेगा। वहां से सीएम का काफिला 12:30 बजे सर्किट हाउस पहुंचेगा।

Can law and order queer the pitch for Yogi Adityanath in Uttar Pradesh?

माघ मेला-2024 की तैयारियां परखने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बुधवार को यहां आएंगे। मेला प्राधिकरण के आईट्रिपलसी सभागार में माघ मेले की तैयारियों की समीक्षा करेंगे। साढ़े तीन घंटे के सीएम के तूफानी दौरे को लेकर अफसरों की नींद उड़ गई है। वह अक्षयवट कॉरिडोर और नागवासुकि के पास रिवर फ्रंट टाइप सड़कों के साथ कई परियोजनाओं का निरीक्षण भी करेंगे। सोमवार को सीएम के दौरे का प्रोटोकॉल जारी कर दिया गया।

सीएम योगी का हेलीकॉप्टर दिन के 12:25 बजे पुलिस लाइन के हेलीपैड पर उतरेगा। वहां से सीएम का काफिला 12:30 बजे सर्किट हाउस पहुंचेगा। वहां आधे घंटे सीएम रहेंगे। इसके बाद सीएम का काफिला एक बजे सीधे संगम नोज पहुंचेगा। वहां बने रहे स्नान घाटों और चकर्ड प्लेट मार्गों के निरीक्षण के बाद वह वीआईपी किलाघाट पहुंचेंगे। वहां महाकुंभ के तहत निर्माणाधीन पक्के घाट का निरीक्षण करने के बाद अक्षयवट कॉरिडोर परियोजना का हाल देखने जाएंगे। अक्षयवट परिपथ पर पातालपुरी और सरस्वती कूप का भी सीएम निरीक्षण करेंगे।
इसके बाद 1.54 बजे पांटून पुलों का भी निरीक्षण करेंगे। इसके बाद 2:10 बजे नागवासुकि मंदिर के सौंदर्यीकरण के साथ ही रिवर फ्रंट टाइप सड़कों के निर्माण की प्रगति जानेंगे। इसके बाद सीएम 2:25 बजे मेला प्राधिकरण कार्यालय पहुंचेंगे। वहां प्राधिकरण के आईट्रिपलसी सभागार में वह आला अधिकारियों के साथ माघ मेले की तैयारियों की समीक्षा करेंगे। यहां से 3:50 बजे सीएम का काफिल सूबेदारगंज पहुंचेगा। वहां वह सूबेदारगंज-चौफटका फ्लाईओवर के अलावा एयरपोर्ट रोड का निरीक्षण करेंगे। इसके बाद सीएम बम्हरौली एयरपोर्ट सेे लखनऊ के लिए रवाना हो जाएंगे। सीएम का दौरा निर्धारित होने के साथ ही अफसरों की भागदौड़ तेज हो गई है। सोमवार को कई दौर में माघ मेले की तैयारियों की विभागवार समीक्षा की गई।
तय अवधि बीती, चार पांटून पुलों का निर्माण अधूरा
प्रयागराज। माघ मेले के काम पूरे करने के लिए तय की गई तारीख सोमवार को बीत गई, लेकिन छह में से सिर्फ दो पांटूनपुलों का निर्माण पूरा हो सका है। चार पांटूनपुल अधूरे ही रह गए। इसी तरह चकर्ड प्लेट सड़कों का निर्माण भी आधा-अधूरा ही रह गया है। काली मार्ग पूरी तरह अभी नहीं बन सका है। काली पांटून पुल के सात से अधिक पीपे अभी जुड़ने बाक हैं। इसी तरह त्रिवेणी के भी पीपे पूरी तरह नहीं जोड़े जा सके हैं। गंगोली शिवाला और नागवासुकि पांटूनपुलों का भी निर्माण अभी तक पूरा नहीं हो सका है। इस तरह बिजली और पेयजल लाइनों को बिछाने का भी काम पिछड़ा हुआ है।

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