जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकी हमले की जापान ने भी कड़ी निंदा की है। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके जापानी समकक्ष शिगेरू इशिबा ने कहा कि सभी संयुक्त राष्ट्र की लिस्ट में शामिल सभी आतंकी संगठनों और उनकी प्रॉक्सी के खिलाफ कठोर और संयुक्त कार्रवाई की आवश्यकता है। आपको बता दें कि इस हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की मौत हो गई थी।
प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) द्वारा जारी बयान के अनुसार, दोनों नेताओं ने यह रुख 15वें भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन के दौरान साझा किया। उन्होंने हमले के आयोजकों, फंडिंग करने वालों और जिम्मेदार लोगों को तत्काल न्याय के कटघरे में लाने की मांग की।
संयुक्त बयान में कहा गया, “दोनों प्रधानमंत्रियों ने लश्कर-ए-तैयबा (LeT), जैश-ए-मोहम्मद (JeM), अल-कायदा, आईएसआईएस और उनके प्रॉक्सीज समेत सभी आतंकी संगठनों पर निर्णायक कार्रवाई की अपील की है।” उन्होंने आतंकियों की पनाहगाह खत्म करने, फंडिंग चैनलों को रोकने और सीमा-पार आतंकवाद की गतिविधियों को थामने पर जोर दिया।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात की जानकारी दी कि आतंकी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने इस हमले की जिम्मेदारी ली थी। इशिबा ने इस पर गहरी चिंता जताई और कहा कि इस तरह के हमले क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा हैं।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने म्यांमार की स्थिति पर भी चिंता जताई। उन्होंने सभी पक्षों से हिंसा तुरंत रोकने, आपातकाल समाप्त करने और निष्पक्ष चुनाव कराने की अपील की। साथ ही आसियान के फाइव पॉइंट कंसेंसस के पूर्ण और प्रभावी क्रियान्वयन का समर्थन किया।
भारत और जापान ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र, विशेषकर अफ्रीका में सतत आर्थिक विकास के लिए सहयोग पर जोर दिया। दोनों नेताओं ने “जापान-इंडिया कोऑपरेशन इनिशिएटिव फॉर सस्टेनेबल इकोनॉमिक डेवलपमेंट इन अफ्रीका” का स्वागत किया, जिसका उद्देश्य भारत को अफ्रीका व्यापार और निवेश के लिए औद्योगिक केंद्र बनाना है।
यूक्रेन संकट:दोनों नेताओं ने अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के आधार पर यूक्रेन में स्थायी शांति का समर्थन किया।
उत्तर कोरिया: उन्होंने उत्तर कोरिया द्वारा बैलिस्टिक मिसाइल तकनीक का उपयोग कर किए गए परीक्षणों और परमाणु हथियारों की होड़ की निंदा की। दोनों ने कोरियाई प्रायद्वीप के पूर्ण निरस्त्रीकरण पर बल दिया और उत्तर कोरिया से संवाद में लौटने की अपील की।
