इन्हें दोषी ठहराने की ईडी ने की मांग
प्रवर्तन निदेशालय ने जिस लोगों को दोषी ठहराने की मांग की है कि उनमें एडवोकेट विद्यानंद सिंह, परमानंद सिन्हा, रिंकी सिन्हा, अर्चना सिन्हा, विजय कुमार, निर्मला कुमार और मे. हरजिग बिजनेस एंड डेवलपमेंट प्राइवेट लि. के नाम हैं।
प्राथमिकी में कहा गया था कि मृत्यु से जुड़े रेलवे दावों में घपला किया गया और दावेदारों को रेलवे से मिली राशि में से केवल एक हिस्सा ही दावेदारों को दिया गया, जबकि बड़ा हिस्सा साजिशकर्ताओं ने हड़प लिया।
ईडी ने पाया कि विद्यानंद सिंह और उनके वकीलों की टीम ने दावेदारों की जानकारी के बिना उनके बैंक खाते खोले और उनका संचालन किया। उन्होंने रेलवे से प्राप्त दावा राशि को अपने खातों में या नकद निकालने के लिए दावेदारों के हस्ताक्षर और अंगूठे के निशान का इस्तेमाल किया।
वकीलों के बैंक खाते में पैसा किया गया ट्रांसफर
दावेदारों के बैंक खाते से वकीलों के बैंक खातों में 10.27 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए गए। यही नहीं वकीलों की पत्नियों ने अपराध की इस आय को छिपाने के लिए एक कंपनी के नाम पर 24 अंचल संपत्तियां अर्जित की, जो पटना, नालंदा, गया और नई दिल्ली में स्थित है।
इस मामले में इसी वर्ष जनवरी महीने में प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने पटना, नालंदा में छापा मारा था। जिसमें अधिवक्ता विद्यानंद सिंह, परमानंद सिन्हा और विजय कुमार को गिरफ्तार किया गया और वर्तमान में सभी न्यायिक हिरासत में हैं।