योगी सरकार उत्तर प्रदेश को ग्लोबल सेवा का हब बनाने जा रही है। इससे यूपी में दो लाख को नौकरियां मिलेंगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में ग्लोबल केपेबिलिटी सेंटर्स (जीसीसी) नीति को मंजूरी दी गई। इसका मकसद यूपी को भारत का अगला वैश्विक सेवा केंद्र बनाकर वन ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को पूरा करना है। नई नीति से आईटी, बैंकिंग, हेल्थकेयर, इंजीनियरिंग और अगली पीढ़ी की तकनीकों में काम करने वाली वैश्विक कंपनियों को बड़े पैमाने पर निवेश के लिए आकर्षित किया जाएगा।

प्रमुख सचिव औद्योगिक विकास आलोक कुमार ने बताया कि प्रदेश में साइंस, लॉ, इंजीनियरिंग समेत बहुत सारे सेक्टर्स का टैलेंट काफी बड़ी मात्रा में मौजूद है। कम पैसे में बेहतर क्वालिटी का काम लेने के लिए कई मल्टीनेशनल कंपनियां अपने ऑफशोर डवलपमेंट सेंटर्स यहीं पर स्थापित कर रही हैं। इसे ही ग्लोबल कैपेसिटी सेंटर कहते हैं। इसमें पहले नंबर पर सॉफ्टवेयर और आईटी आता है, जिसमें मशीन लर्निंग, क्लाउड कंप्यूटिंग, रोबोटिक प्रॉसेस ऑटोमेशन, एआई संचालित डवलपमेंट, साइबर सुरक्षा, इंजीनियरिंग डवलपमेंट आते हैं। इंजीनियरिंग डिजाइन का बहुत सारा एलीमेंट है जो बहुत कॉस्टली और टाइम कंज्यूमिंग होता है और हम काफी सस्ते दामों में और उच्च गुणवत्ता के साथ इस काम को कर सकते हैं।

वाराणसी, प्रयागराज व कानपुर में खुलेगा

उन्होंने बताया कि इसी प्रकार से बैंक्स, फाइनेंशियल सर्विसेज और इंश्योरेंस सेक्टर में बहुत सारे काम आउटसोर्स करने के लिए मल्टीनेशन कंपनियां भारत आ रही हैं। इसी तरह, ऑटोमोटिव सेक्टर, इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमी कंडक्टर विनिर्माण सेक्टर की भी बहुत सारी कंपनियां यहां आई हैं। उनके सॉफ्टवेयर डवलपिंग का बहुत सारा काम इन जीसीसी में होगा। उन्होंने बताया कि आज भारत में लगभग 1700 जीसीसी हैं और इनके तेजी से बढ़ने की उम्मीद है। नोएडा में अभी माइक्रोसॉफ्ट ने 10 हजार सीटर डवलपमेंट सेंटर का शिलान्यास किया है। एमएक्यू ने भी 3 हजार सीटर इंजीनियरिंग डवलपमेंट सेंटर का सेटअप किया है। हमको एनसीआर और नोएडा के साथ ही वाराणसी, कानपुर और प्रयागराज जैसे शहरों में भी इन सेंटर्स को लाने की व्यवस्था करनी है।

देश में सबसे आकर्षक प्रोत्साहन पैकेज

योगी सरकार द्वारा घोषित यह नीति भारत की सबसे प्रतिस्पर्धी और समर्पित नीति मानी जा रही है। इसमें निवेशकों को संचालन से लेकर कौशल विकास तक हर स्तर पर व्यापक सहायता मिलेगी। इसके तहत, ऑपरेशनल सब्सिडी के अंतर्गत किराया, बिजली, बैंडविड्थ और डेटा सर्विस पर 20% सब्सिडी, ₹80 करोड़ तक की सहायता प्राप्त होगी। वहीं, पेरोल सब्सिडी के तहत यूपी निवासी कर्मचारियों के वेतन पर ₹1.8 लाख तक प्रतिवर्ष की प्रतिपूर्ति का लाभ मिलेगा।

फ्रेशर और इंटर्न सब्सिडी के तहत नए ग्रेजुएट्स को भर्ती करने पर ₹20000 और इंटर्नशिप पर ₹5000 प्रति माह तक की सहायता प्राप्त होगी। ईपीएफ, ट्रेनिंग और अनुदान के तहत सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए विशेष प्रावधान किया गया है। वहीं, भूमि व स्टांप ड्यूटी में छूट, पूंजी और ब्याज पर सब्सिडी, साथ ही एसजीएसटी की प्रतिपूर्ति भी इसमें शामिल है। सिंगल विंडो सिस्टम के तहत इन्वेस्ट यूपी के जरिए सारी स्वीकृतियां ऑनलाइन और सरल होंगी।

दो लाख नई नौकरियों का रास्ता साफ

इस नीति के लागू होने से आईटी, एनालिटिक्स, एचआर, कस्टमर सपोर्ट और फाइनेंस जैसे क्षेत्रों में दो लाख से ज्यादा गुणवत्तापूर्ण नौकरियां सृजित होंगी। साथ ही, वैश्विक निवेश भी तेजी से प्रदेश में प्रवेश करेगा। इससे न केवल शहरी बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी आर्थिक विकास को गति मिलेगी। जीसीसी नीति महिलाओं, एससी/एसटी, ट्रांसजेंडर और दिव्यांगजनों के लिए रोजगार में विशेष प्रोत्साहन देती है। इसके अलावा, स्टार्टअप्स को आइडिएशन, पेटेंट और रिसर्च के लिए भी भरपूर मदद दी जाएगी।

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