ग्रोथ फाउंडेशन
बेहतर कनेक्टिविटी, उच्च शिक्षा तक पहुंच, और कृषि पर कम निर्भरता ग्रामीण भारत के आर्थिक परिदृश्य को बदल रही है। ग्रामीण क्षेत्र के सकल मूल्य वर्धित (Gross Value Added – GVA) में कृषि का योगदान वित्त वर्ष 1994 में 56% से घटकर वित्त वर्ष 2022 में 40% हो गया है। वहीं, गैर-कृषि गतिविधियों जैसे मैन्युफैक्चरिंग, सर्विस और कंस्ट्रक्शन का योगदान इसी अवधि में 44% से बढ़कर 60% हो गया है। यह बदलाव कृषि से धीरे-धीरे दूरी का संकेत देता है, जो वर्तमान में 41.5% आबादी को रोजगार देने के बावजूद राष्ट्रीय GDP का केवल 16% हिस्सा है।
अगली लहर: मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर
ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक पुनरुत्थान के पीछे अवसरों की व्यापक श्रृंखला है। ट्रैक्टर और उपभोक्ता वस्तुओं जैसे पारंपरिक ग्रामीण-केंद्रित उद्योगों के विपरीत, यह लहर बैंकिंग, पैसेंजर कारों और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स जैसे क्षेत्रों तक फैल रही है। ग्रामीण भारत तेजी से आर्थिक विकास का इंजन बन रहा है और देश की विकास गाथा को फिर से परिभाषित करने के लिए तैयार है। ग्रामीण औद्योगीकरण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कई सरकारी कार्यक्रम सतत विकास का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं। यह बदलाव भारत के लिए नए अवसर खोलता है, खासकर उन ग्रामीण क्षेत्रों में जहां प्रमुख सेक्टर्स की पहुंच अभी भी सीमित है।
