IIT JEE preparation Tips:आईआईटी जेईई हमारे देश के सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है। इसके लिए छात्र को अपने स्कूल से ही कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। आईआईटी में कुछ हजार सीटों पर एडमिशन पाने के लिए हर साल करीब 10 लाख छात्र जेईई मेन्स परीक्षा के लिए अपना रजिस्ट्रेशन करते हैं। जेईई मेन्स परीक्षा में सफल होने वाले उम्मीदवारों को जेईई एडवांस परीक्षा में शामिल होने का मौका मिलता है। जो छात्र इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) में एडमिशन लेना चाहते हैं, उन्हें परीक्षा में शामिल होने से पहले अच्छी तरह से अपने आप को तैयार करना पड़ता है। ज्वाइंट एंट्रेंस टेस्ट (JEE) के लिए छात्र कक्षा दसवीं के बाद से ही तैयारी शुरू कर देते हैं। अगर आप अपने पहले ही प्रयास में जेईई परीक्षा पास करना चाहते हैं और अच्छे टेक्निकल इंस्टीट्यूट में एडमिशन लेना चाहते हैं तो आपको उन टॉपर्स की सलाह, टिप्स और ट्रिक को जानना चाहिए, जिन्होंने जेईई परीक्षा में टॉप किया है।
टॉपर्स की सलाह, टिप्स और ट्रिक-
1. जेईई एडवांस्ड 2024 में ऑल इंडिया रैंक 1 लाने वाले वेद लोहाटी कहते हैं कि उन्होंने कभी भी घंटे देखकर पढ़ाई नहीं की है, ब्लकि वे हमेशा गोल (लक्ष्य) बनाकर पढ़ते थे। उन्होंने कभी-भी बैकलॉग बनने नहीं दिया। उन्होंने कहा कि उनके लिए टेस्ट बहुत ही मददगार रहे क्योंकि उससे उन्होंने टाइम मैनेजमेंट करना सीखा। उन्होंने अपनी बेकार परफॉर्मेंस को नेगेटिव रूप से नहीं लिया ब्लकि उन्होंने अपनी कमजोरियों पर ज्यादा ध्यान दिया।
2. जेईई एडवांस्ड 2024 में रैंक 19 लाने वाले भव्य तिवारी ने बताया कि उन्होंने कक्षा 11वीं से ही जेईई की तैयारी शुरू कर दी थी। वे रोज 8 से 10 घंटे पढ़ाई करते थे। उन्होंने एनसीईआरटी के सिलेबस से बेसिक नॉलेज लेने के बाद अलग-अलग पब्लिशर्स की किताबों से पढ़ाई की। भव्य ने बहुत सारी टेस्ट-सीरीज भी दीं, जिससे निर्धारित समय के अंदर प्रश्नपत्र को हल करना सीख गए।
3. जेईई एडवांस्ड 2024 में 56वीं रैंक लाने वाले कण्व चौधरी ने बताया कि उन्होंने नौवीं कक्षा से आईआईटी में जाने का फैसला कर लिया था। इसके लिए उन्होंने रोज 8 घंटे की पढ़ाई की। पढ़ाई के साथ-साथ उन्होंने टेस्ट सीरीज के अभ्यास पर भी बहुत ध्यान दिया।
4. जेईई एडवांस् 2024 में ऑल इंडिया रैंक 2 लाने वाले आदित्य ने बताया कि उनकी सफलता की रणनीति में टाइम मैनेजमेंट, विषयों की वैचारिक शिक्षा, टेस्ट रिजल्ट का विश्लेषण और टेस्ट रिजल्ट के आधार पर अभ्यास करना शामिल था। वे रोज 6 घंटे की सेल्फ-स्टडी करते थे। पढ़ाई करते समय वे पढ़ाई में एकाग्रता बनाए रखने के लिए हर घंटे छोटे ब्रेक लेते थे।