पूरा देश इस समय राममय है। प्रधानमंत्री के जरिए भाजपा इसको भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। प्रधानमंत्री की जनसभा को सपा-रालोद गठबंधन की धार को कम करने के लिए भी अहम माना जा रहा है। केंद्र की मोदी सरकार भी विकास के एजेंडे को लेकर ही आगे बढ़ रही है। इसलिए यह क्षेत्र मतदाताओं के बीच विकास का संदेश देने के लिए अनुकूल है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की बृहस्पतिवार को गौतमबुद्ध नगर लोकसभा सीट के अंतर्गत सिकंदराबाद में होने वाली जनसभा के कई मायने हैं। अयोध्या में राम मंदिर में रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा से देश में बने माहौल को वह सिकंदराबाद से और आगे बढ़ाने का प्रयास करेंगे।
19 सीटों पर जीती थी बीजेपी
पश्चिमी उप्र में लोकसभा की 26 सीटें हैं। भाजपा के लिए यह महत्वपूर्ण है। गत चुनाव में भाजपा ने 19 सीटों पर विजय प्राप्त की थी। सात सीटों पर सपा-बसपा गठबंधन के प्रत्याशी चुनाव जीते थे। इस बार भाजपा ने सभी सीटों पर परचम लहराने के लिए रणनीति तैयार की है। खास बात यह है कि भाजपा ने 2014 लोकसभा चुनाव का शखंनाद गाजियाबाद से किया था।
इस बार सिकंदराबाद से बजेगा चुनावी बिगुल
2019 में लोकसभा चुनाव का बिगुल बजने से पहले ग्रेटर नोएडा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जनसभा कराई गई। इस बार गौतमबुद्ध नगर से सटे बुलंदशहर के सिकंदराबाद से चुनाव का श्रीगणेश करने का निर्णय किया गया। इसका प्रमुख कारण इस क्षेत्र को उत्तर प्रदेश के विकास का चेहरा माना जाना है। केंद्र की मोदी सरकार भी विकास के एजेंडे को लेकर ही आगे बढ़ रही है। इसलिए यह क्षेत्र मतदाताओं के बीच विकास का संदेश देने के लिए अनुकूल है।
गौतमबुद्ध नगर और गाजियाबाद मिश्रित आबादी वाले शहर हैं। यहां हर राज्य के नागरिक रहते हैं। यहां नौकरी करने के बावजूद वह अपने राज्यों की जड़ों से जुड़े रहते हैं। कुछ के वोट अपने प्रदेशों में ही बने हैं। यहां से प्रधानमंत्री की जनसभा का संदेश समूचे देश में जाएगा। हरियाणा और दिल्ली से सटे होने के कारण यहां के लोगों की रिश्तेदारियों की डोर आपस में बंधी है। सिकंद्राबाद की जनसभा का प्रभाव इन दोनों राज्यों में भी पड़ेगा। अलीगढ़, हाथरस और मथुरा तक भी इसका लाभ मिलेगा।
सपा-रालोद की धार को कम करेगा मोदी का संदेश!
प्रधानमंत्री की जनसभा को सपा-रालोद गठबंधन की धार को कम करने के लिए भी अहम माना जा रहा है। पिछली बार सपा का बसपा के साथ गठबंधन था। 26 लोकसभा सीटों में से 19 भाजपा ने जीती थी। सहारनपुर, बिजनौर, नगीना, अमरोहा पर बसपा एवं रामपुर, मुरादाबाद और संभल सीट पर सपा प्रत्याशी चुनाव जीते थे। सपा ने इस बार रालोद से गठबंधन किया है। पश्चिमी उप्र को जाट और गुर्जर बहुल माना जाता है। यहां जाट करीब 17 व गुर्जर 16 प्रतिशत हैं। जाटों को रालोद का परंपरागत वोट माना जाता है।