विगत सरकार ने शिक्षा को मकड़ जाल में उलझा दिया।
धौलपुर राजस्थान ।भारतीय शिक्षण मण्डल ने राज्य के नए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को बधाई देते हुए शिक्षा के क्षेत्र में नई शिक्षा नीति का क्रियान्वयन लागू करने के लिए पत्र लिखा है। मण्डल के जिलाध्यक्ष मुकेश सूतैल ने बताया कि राज्य को सुशासन की ओर अग्रसर करने में नई सरकार के लिए बहुत चुनौतियां हैं, परन्तु नई सरकार सुशासन की बुलंदियों को छूएगा ऐसा प्रत्येक राजस्थानी को पूर्ण विश्वास है। उन्होंने बताया कि राज्य में सर्वाधिक महत्वपूर्ण विषय शिक्षा है,विशेष कर प्रारंभिक शिक्षा। विगत सरकार ने स्कूली शिक्षा को केवल आंकड़ों के मकड़ जाल में उलझा कर रख दिया था। वास्तव में ज्ञान प्राप्ति और व्यक्तित्व निर्माण का माध्यम शिक्षा, बहुत कम रह गई है। इस पर विचार होना चाहिये। यह विश्लेषण का विषय है कि कैसे विद्यालय में विद्या प्राप्ति गौण हो गई और अन्य बातें प्रमुख हो गई। शिक्षकों के बहुत बड़ी संख्या में रिक्त पद भी इस स्थिति लिए जिम्मेदार है। समुदाय का जुड़ाव राजकीय विद्यालयों से औपचारिक और नगण्य है। आने वाले समय में शिक्षा के स्तर को सुधारने के काम को सर्वोच्च प्राथमिकता देने होगी। राजकीय विद्यालयों की शिक्षा व्यवस्था पर विशेष ध्यान देना होगा। राजकीय विद्यालय में अधिकांशतया साधारण एवं निर्धन परिवारों के बच्चे पढ़ते हैं। इन बच्चों में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है, केवल इन्हें निखारने की और उन्हें समुचित मार्गदर्शन की आवश्यकता है। यह काम राजकीय विद्यालयों के शिक्षकों द्वारा भलीभांति किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि विगत सरकार द्वारा अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा देने वाले राजकीय विद्यालय खोलने का निर्णय किसी भी प्रकार से उचित नहीं है। उपयुक्त होगा यदि इस निर्णय पर पुनर्विचार कर अंग्रेजी को माध्यम के रूप में विद्यालयों की शिक्षा में नहीं रखा जाए। अग्रेजी भाषा पर नियंत्रण विद्यार्थियों का जरूर होना चाहिए ताकि आगे चलकर उन्हें किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े। अंग्रेजी भाषा को राजकीय विद्यालयों में पढ़ाई का माध्यम बना लेना विद्यार्थियों के लिए बहुत अहितकारी सिद्ध हुआ है। जबकि भारत सरकार की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति भी प्रारंभिक कक्षाओं में स्थानीय मातृ भाषा में पढ़ाने पर बल देती है। इसी प्रकार विद्यालयों में आधारभूत भौतिक सुविधाओं का अभाव होते हुए भी पूर्ववर्ती सरकार ने राज्य के अधिकांश प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों को उच्च माध्यमिक विद्यालयों में क्रमोन्नत कर दिया है। उन्होंने बताया कि जिन विद्यालयों में जहां 1 या 2 कक्षा कक्ष हैं, वहां कैसे 12 तक के विद्यार्थी अध्ययन कर सकेंगे ? उन्होंने मांग की है कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार राज्य में शिक्षा के ढांचे में बदलाव कर राष्ट्रीय शिक्षा नीति पूरी तरह से लागू की जाए जिससे शिक्षक और शिक्षार्थी सहित समाज लाभान्वित हो सके।