भारत और रूस की साझेदारी को और मजबूत करने के उद्देश्य से रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ऐतिहासिक दौरे पर आज, गुरुवार को भारत पहुंचेंगे। पुतिन की इस दो दिवसीय यात्रा पर पूरी दुनिया की निगाहें टिकी हैं। रूसी राष्ट्रपति के गुरुवार शाम लगभग साढ़े चार बजे नई दिल्ली पहुंचने की संभावना है जहां उनके स्वागत की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। गुरुवार रात प्रधानमंत्री मोदी अपने खास दोस्त के स्वागत के लिए एक प्राइवेट डिनर की मेजबानी करेंगे जिसके बाद अगले दिन आधिकारिक कार्यक्रम शुरू होंगे। 10 बिंदुओं में समझिए पूरा सार-
- पुतिन की यात्रा की जानकारी रखने वाले अधिकारियों ने बताया कि पुतिन का शुक्रवार को औपचारिक स्वागत किया जाएगा, जिसके बाद 23वीं भारत-रूस शिखर वार्ता होगी। उन्होंने बताया प्रधानमंत्री मोदी हैदराबाद हाउस में पुतिन और उनके प्रतिनिधिमंडल के लिए दोपहर में एक भोज की भी मेजबानी करेंगे। पुतिन अगली सुबह राजघाट का रुख करेंगे। वहीं इसके बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू उनके सम्मान में राजकीय भोज की मेजबानी करेंगी। लगभग 28 घंटे की यात्रा के बाद पुतिन शुक्रवार रात करीब साढ़े नौ बजे भारत से प्रस्थान करेंगे।
- पुतिन की इस यात्रा का व्यापक उद्देश्य ऐसे समय में भारत-रूस सामरिक और आर्थिक साझेदारी को मजबूत करना है, जब भारत और अमेरिका के संबंध तनाव से गुजर रहे हैं। शिखर वार्ता में भारत द्वारा रूसी कच्चे तेल की बड़ी मात्रा में खरीद के कारण बढ़ते व्यापार घाटे का मुद्दा उठाए जाने की संभावना है। बता दें कि अमेरिका द्वारा भारतीय वस्तुओं पर 50 प्रतिशत का भारी शुल्क लगाए जाने के बाद भारत और अमेरिका संबंध पिछले दो दशकों में संभवत: अपने सबसे खराब दौर से गुजर रहे हैं। इस शुल्क में रूसी कच्चे तेल की खरीद के कारण लगाया गया 25 प्रतिशत शुल्क भी शामिल है। बैठक में अमेरिकी प्रतिबंधों के भारत द्वारा रूस से कच्चे तेल की खरीद पर पड़ने वाले प्रभाव पर भी चर्चा होने की संभावना है।
- शुक्रवार को होने वाली शिखर वार्ता में रक्षा सहयोग को बढ़ाने, द्विपक्षीय व्यापार को बाहरी दबावों से सुरक्षित रखने और छोटे ‘मॉड्यूलर रिएक्टर’ में संभावित सहयोग पर विशेष ध्यान दिए जाने की भी संभावना है। इस वार्ता पर पश्चिमी देशों की पैनी निगाह रहेगी।
- सम्मेलन में पुतिन प्रधानमंत्री मोदी को यूक्रेन जंग खत्म करने के लिए अमेरिका के प्रयासों से भी अवगत करा सकते हैं। पुतिन के दौरे से पहले यूरोपीय देशों ने भारत से अपील की है कि वह रूस पर यूक्रेन युद्ध खत्म करने का दबाव बनाएं। यूरोप ने कहा है कि पुतिन पीएम मोदी की बात सुनते हैं और इसीलिए भारत को पुतिन से इस संबंध में बातचीत करनी चाहिए। गौरतलब है कि भारत लगातार कहता रहा है कि युद्ध खत्म करने का रास्ता केवल संवाद और कूटनीति से होकर गुजरता है।
- मोदी और पुतिन की बातचीत के बाद दोनों देशों के बीच कई समझौतों पर हस्ताक्षर होने की संभावना है। इनमें भारतीय श्रमिकों के रूस में आवागमन को सुगम बनाने संबंधी एक समझौता और रक्षा सहयोग पर एक अन्य समझौता शामिल है। ऐसा बताया जा रहा है कि फार्मा, कृषि, खाद्य उत्पादों और उपभोक्ता वस्तुओं के क्षेत्रों में रूस को भारतीय निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है। यह कदम ऐसे समय में उठाया जा रहा है, जब भारत रूस के पक्ष में बढ़ते व्यापार घाटे को लेकर चिंतित है। भारत द्वारा रूस से प्रतिवर्ष लगभग 65 अरब अमेरिकी डॉलर मूल्य के उत्पाद और सेवाएं खरीदी जाती हैं, जबकि रूस का भारत से आयात लगभग पांच अरब अमेरिकी डॉलर है।
- अधिकारियों ने बताया कि भारत उर्वरक क्षेत्र में भी सहयोग बढ़ाने की दिशा में काम कर रहा है। रूस हर साल भारत को 30 से 40 लाख टन उर्वरक आपूर्ति करता है। उन्होंने बताया कि दोनों पक्ष व्यापार, शिक्षा, कृषि और संस्कृति जैसे क्षेत्रों में कई समझौतों पर हस्ताक्षर कर सकते हैं।
- भारतीय और रूसी पक्ष भारत द्वारा प्रस्तावित यूरेशियन आर्थिक संघ के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर भी चर्चा कर सकते हैं। अधिकारियों ने कहा कि लक्ष्य इस एफटीए को जल्द से जल्द अंतिम रूप देना होगा।
- शिखर बैठक से पहले दोनों देशों के रक्षा मंत्री गुरुवार को व्यापक वार्ता करेंगे। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उनके रूसी समकक्ष आंद्रे बेलौसोव के बीच गुरुवार को होने वाली वार्ता में S-400 मिसाइल प्रणाली की खरीद और रूस से अन्य महत्वपूर्ण सैन्य उत्पाद खरीदने में भारत की रुचि एजेंडे में रहेगी। शीर्ष सैन्य अधिकारियों ने बताया कि पूरा ध्यान दोनों देशों के बीच पहले से ही घनिष्ठ रक्षा संबंधों को और विस्तारित करने पर होगा, जिसमें रूस से भारत को सैन्य उत्पादों की शीघ्र आपूर्ति सुनिश्चित करने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
- इससे पहले क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने मंगलवार को कहा था कि पुतिन के दौरे पर रूस द्वारा भारत को Su-57 लड़ाकू विमान की आपूर्ति की संभावना पर चर्चा हो सकती है। पेसकोव ने कहा है कि बातचीत में Su-57 फिफ्थ-जेनरेशन फाइटर जेट्स में भारत की दिलचस्पी भी शामिल हो सकती है। भारत अभी नेक्स्ट-जेनरेशन प्लेटफॉर्म्स का मूल्यांकन कर रहा है, जिसमें राफेल, F-21, F/A-18 और यूरोफाइटर टाइफून जैसे विकल्प शामिल हैं।
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10. यह जानना अहम है कि भारत और रूस संबंधों के संपूर्ण आयाम की समीक्षा के लिए भारत के प्रधानमंत्री और रूस के राष्ट्रपति के बीच प्रतिवर्ष एक शिखर बैठक होती है। अब तक भारत और रूस में बारी-बारी से 22 वार्षिक शिखर बैठकें हो चुकी हैं। रूस के राष्ट्रपति ने आखिरी बार 2021 में भारत का दौरा किया था। वहीं प्रधानमंत्री मोदी पिछले साल जुलाई में वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए मॉस्को गए थे।
