लखनऊ की कोर्ट में गैंगस्टर संजीव जीवा की हत्या के बाद जेल में बंद माफिया मुख्तार अंसारी की सुरक्षा की समीक्षा की गई है. मुख्तार की बैरक में तैनात हर पुलिस कर्मी को सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं.

साथ ही कहा गया है कि एक ही पुलिस कर्मी लगातार ड्यूटी पर नहीं रहेगा. हाई सिक्योरिटी बैरक में 24 घंटे नजर रखी जा रही है. इसके साथ ही कहा गया है कि कोर्ट परिसर में पेशी के दौरान हाई प्रोफाइल गैंगस्टर्स से मिलने वालों पर विशेष नजर रखी जाए. सुरक्षा में लगे पुलिस कर्मी अनजान लोगों को किसी भी अपराधी के पास न भटकने दें. ये आदेश गृह विभाग ने सभी जिलों के लिए जारी किया है.

गृह विभाग ने कहा है कि किसी भी न्यायालय परिसर में किसी भी व्यक्ति को शस्त्र लेकर प्रवेश नहीं करने के आदेश का सख्ती से पालन कराया जाए. सभी जिलों में कोर्ट की सुरक्षा के लिए 71 सुरक्षा प्रभारी इंस्पेक्टर, 22 इंस्पेक्टर, 240 सब इंस्पेक्टर, 522 कांस्टेबल और 1772 हेड कांस्टेबल कॉन्स्टेबल तैनात किए गए हैं. इसके साथ ही सभी कोर्ट परिसर की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त क्यूआरटी टीमें लगाई गई हैं. इसमें 60 उपनिरीक्षक, 112 हेड कॉन्स्टेबल और 256 कांस्टेबल तैनात किए गए हैं.

सुनवाई का इंतजार कर रहा था जीवा

गौरतलब है कि विशेष न्यायाधीश एससी/एसटी एक्ट की कोर्ट में बुधवार को शूटर विजय यादव ने संजीव जीवा की हत्या की थी. कोर्ट में मौजूद प्रत्यक्षदर्शी वकील ने बताया था कि कोर्ट में भीड़ थी. जीवा सुनवाई का इंतजार कर रहा था. तभी एक शूटर आया और उस पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. मौके पर मौजूद एक महिला की गोद में बच्ची थी. इस दौरान मासूम के पीठ पर गोली लगी है, जो पेट से निकल गई.

वारदात को लेकर प्रत्यक्षदर्शी की जुबानी

वहीं, महिला के अंगूठे में गोली लगी. इस दौरान एक पुलिस कांस्टेबल को भी गोली लगी. प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि संजीव जान बचाने के लिए अंदर भागा और वह 10 से 15 मिनट तक बेसुध पड़ा रहा. शूटर कह रहा था कि हम जीवा को मारने आए थे और मार दिया. जीवा पर बीजेपी नेता ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या का आरोप था, जिन्होंने कभी मायावती की गेस्ट हाउस कांड में जान बचाई थी. जीवा पर जेल से गैंग चलाने और आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देने का आरोप था.

पुलिस और आम लोगों के लिए बन गया सिरदर्द

पिछले कुछ सालों से वो अपनी पत्नी को राजनीति में स्थापित करने की कोशिश कर रहा था. उसकी पत्नी पायल माहेश्वरी ने 2017 का विधानसभा चुनाव सदर सीट से रालोद में शामिल होकर लड़ा था. जीवा इस समय लखनऊ जेल में बंद था. 90 के दशक में उसने अपना खौफ पैदा करना शुरू किया, फिर धीरे-धीरे वह पुलिस और आम लोगों के लिए सिरदर्द बन गया.

शुरुआती दिनों में वह एक डिस्पेंसरी संचालक के यहां कंपाउंडर का काम करता था. इसी नौकरी के दौरान जीवा ने अपने बॉस यानी डिस्पेंसरी के संचालक का अपहरण कर लिया था. इसके बाद से वह जुर्म की दुनिया में कदम बढ़ाता चला गया.

0Shares

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *