सेनाओं के पीछे हटने की घोषणा 8 सितंबर को हुई थी। इसके बाद सीमाक्षेत्र के आर-पार 2 से 4 किमी का बफर जोन तैयार किया जाएगा। अधिकारी ने बताया कि यह उसी तरह से होगा जैसा एलएसी पर सेनाओं के हटने के बाद किया गया था। गौरतलब है कि इसी पैट्रोलिंग प्वॉइंट-15 पर भारत और चीन की सेना के बीच 28 महीने पहले भिड़ंत हो चुकी है।
इसके बाद दोनों सेनाओं के बीच कई दौर की बातचीत हुई थी। जुलाई में 16वें दौर की वार्ता के बाद तय किया गया था कि संवेदनशील सेक्टर्स में तनाव को कम किया जाएगा। एक अन्य सैन्य अधिकारी ने बताया कि यह प्रक्रिया योजनाबद्ध ढंग से अंजाम दी जाएगी। वहीं रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल डीबी शेकाटकर ने कहा कि कि चीन के साथ अनुभवों को देखते हुए हमें सावधान रहना होगा। उन्होंने कहा कि पिछले तीन दशक में भारत ने चीन के साथ कई समझौते किए हैं, लेकिन उसने हमेशा धोखा दिया है।
2022-09-11 15:28:17 https://wisdomindia.news/?p=5772