प्रयागराज में जनवरी माह से महाकुंभ का आगाज होगा। प्रतापगढ़ के भी लाखों श्रद्धालु इसके साक्षी बनेंगे। वैसे तो कुंभ और महाकुंभ में प्रतापगढ़ के उद्यमी और व्यापारी आंवले का स्टॉल लगाते हैं, लेकिन इस बार कुछ नया करने पर मंथन हो रहा है। अब स्टॉल के पास ही आंवले का उत्पाद तैयार होगा। इससे उनको काफी सहूलियत मिलेगी।

‘अमृत फल’ यानी आंवले से जनपद की पहचान है। यहां पर बड़े पैमाने पर आंवले का उत्पादन होता है। यहां पर तैयार आंवले के उत्पाद बर्फी, लड्डू, कैंडी, अचार, चटनी, जूस, लड्डू और मुरब्बे की डिमांड देश और विदेशों तक है।

 

महाकुंभ में अमृत फल के लगेंगे स्टॉल

जनवरी माह में प्रयागराज में महाकुंभ की शुरुआत होगी। इसके लिए यहां के 6 से अधिक उद्यमी स्टॉल लगाकर आंवले के उत्पाद की बिक्री करेंगे। सबसे खास बात यह है कि संगम की रेत पर उद्यमी आंवले का उत्पाद तैयार करने की छोटे-छोटे उपकरण लगाएंगे।

उद्यमी महाकुंभ में उपकरण भी ले जाएंगे

यहां पर आंवले की कैंडी आदि उत्पाद तैयार करेंगे। पहले उद्यमी इकाई पर तैयार करके उत्पाद बिक्री करने के लिए ले जाते थे। इससे उनका काफी पैसा आने-जाने में खर्च हो जाता था। ऐसे में अब वह पैसे व समय की बचत के लिए अस्थायी रूप से छोटे-छोटे उपकरण लगा सकेंगे। 

इस संबंध में उपायुक्त उद्योग अजय कुमार त्रिपाठी ने बताया कि प्रयागराज में लगने वाले महाकुंभ के मद्देनजर उद्यमी आंवले के उत्पाद का स्टॉल लगाएंगे। इस बार वह उत्पाद भी वहीं तैयार कर सकेंगे। आंवले की उत्पाद की काफी डिमांड रहेगी।

एक जनपद-एक उत्पाद योजना से आंवले को मिला मुकाम

जनपद में आठ हजार 12 हेक्टेअर में आंवले का बाग है। यहां के 2,984 किसानों के पास आंवले का बाग है। खास बात यह है कि हर साल बाग से 69 हजार 96 एमटी आंवले का उत्पादन होता है। पहले आंवले का उचित मूल्य न मिलने से तमाम किसानों ने आंवले की बाग को काटकर गेहूं और धान की खेती करने लगे। 

उद्यमियों को आंवले का अच्छा खासा मिलता है दाम

एक जनपद-एक उत्पाद योजना में जब आंवले का चयन हुआ तो आंवले की मांग बढ़ी। अब तो आंवले का अच्छा खासा मूल्य मिलने लगा है। आंवले का उत्पाद केरल, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर, बिहार, कोलकाता के अलावा कनाडा, तंजानिया, सऊदी अरब, अमेरिका, श्रीलंका, बैंकाक में डिमांड पर आंवले का उत्पाद भेजा जाता है।

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