वंदे भारत एक्सप्रेस (Vande Bharat Express) निरस्त होने से नाराज यात्रियों ने बुधवार को कैंट स्टेशन स्थित प्लेटफॉर्म नंबर एक पर विरोध-प्रदर्शन किया। कामायनी एक्सप्रेस (Kamayani Express) के आगे खड़े होकर रेलवे प्रशासन के खिलाफ नाराजगी जताई। मौके पर पहुंची आरपीएफ (RPF) और जीआरपी की टीम ने मान मनौव्वल कर यात्रियों को शांत कराया। घटनाक्रम के दौरान कामायनी एक्सप्रेस 15 मिनट तक खड़ी रही।

प्रयागराज-रामबाग रेलखंड पर निर्माण कार्य के चलते वंदे भारत एक्सप्रेस (Vande Bharat Express) का संचालन परिवर्तित मार्ग से किया जा रहा है। बुधवार को अचानक सुबह रेल प्रशासन ने वाराणसी से प्रयागराज (Prayagraj) के बीच वंदे भारत एक्सप्रेस को निरस्त करने का निर्णय ले लिया। सुबह 11.32 बजे मोबाइल संदेश मिलने पर यात्रियों ने अपना टिकट रिफंड कर दिया गया, जबकि कुछ यात्रियों ने मोबाइल फोन पर संदेश न मिलने का आरोप लगाया।

यात्रियों ने जताई नाराजगी

लगभग 50 की संख्या में यात्रियों ने निदेशक कार्यालय पहुंचकर अपनी नाराजगी जताई। गुस्साए यात्रियों ने अपनी बात मनवाने के लिए प्लेटफॉर्म नंबर एक पर खड़ी कामायनी एक्सप्रेस को रोक दिया। निदेशक को बुलाने की मांग को लेकर नारेबाजी की। मौके पर पहुंचे जीआरपी इंस्पेक्टर हेमंत कुमार सिंह और आरपीएफ निरीक्षक संदीप यादव ने यात्रियों को समझाया बुझाकर शांत कराया।

ड्यूटी ज्वॉइन करने की चिंता

प्रदर्शनरत लोगों में शामिल कुछ यात्री को ड्यूटी ज्वाइन करने की चिंता थी, तो कुछ ने फ्लाइट छूट जाने का हवाला दिया। कुछ फौजी भी परेशान दिखे। यात्रियों की मानें तो मोबाइल फोन पर ट्रेन के निरस्त होने की सूचना नहीं मिली।

मेरठ-लखनऊ वंदेभारत एक्सप्रेस बनारस तक चलाने की तैयारी

इसके अलावा मेरठ रेल कनेक्टिविटी के नए नक्शे पर दौड़ते हुए धर्मनगरी बनारस को स्पर्श करने की तैयारी में है। संभव है कि मेरठ-लखनऊ वंदे भारत रामनगरी अयोध्या होकर बनारस पहुंचे, जो मेरठ के यात्रियों के लिए अविस्मरणीय होगा। रेलवे बोर्ड ने मेरठ-लखनऊ के बीच संचालित सेमी हाईस्पीड वंदे भारत को बनारस तक चलाने के लिए सर्वे को हरी झंडी दे दी है। 

लखनऊ मंडल के अधिकारियों से लखनऊ-बनारस के तीनों रेलमार्गों की फिजिबिलिटी रिपोर्ट मांगी है। इसके बाद सर्वे, संचालन का समय, हाल्ट एवं किराये पर निर्णय लिया जा सकता है। राज्यसभा सदस्य डॉ. लक्ष्मीकांत बाजपेयी, सांसद अरुण गोविल समेत कई अन्य ने रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से ट्रेन को बनारस तक पहुंचाने की मांग की थी।

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