झांसी! चिन्मय मिशन झांसी के ज्ञान यज्ञ के आज तृतीय दिवस प्रवचन में दीप प्रज्वल्लन स्वामी सतनाम, ए के सिंह, एसपी अत्रि, प्रेमलता अत्रि, बीएल नामदेव, आरके धवन, पूनम धवन, मोहन भट्ट, सुरेंद्र साहू, वंदना गुप्ता, नीलम गुप्ता, सीताराम गुप्ता द्वारा किया गया। मुख्य प्रवचन कर्ता स्वामी अद्वैतानंद जी ने भागवतम कृष्ण लीला रहस्य में बताया।
भगवान ने वचन दिया कि धर्म स्थापना के लिए मैं बार बार अवतरित होता हूं। भगवान का प्राकट्य भक्त कृपा, पोषण, आनंद, भक्त शक्ति को दृढ़ करने के होता है। लीला रहस्य में भगवान की कृष्ण गोपी लीला और कृष्ण रुक्मिणी विवाह का सुंदर आनंदमय वर्णन किया। वेदांत ज्ञान के सुबह सत्र में दृग दृश्य विवेक में ध्यान की प्रकिया को सुक्ष्म रूप से समझाया। ध्यान के प्रथम चरण में धारणा यानि एकाग्रता विकसित होती है, फिर उस पर सजातीय वृत्ति चिंतन से ध्यान विषय वस्तु दृढ़ होती है। भगवान रमन महर्षि सरल चिंतन या आज्यधारणा अविरल अखंड चिंतन को श्रेष्ठ ध्यान चिंतन बताते है। शब्द, दृश्य सालंबन से पहले सविकल्प चिंतन ध्यान आता है और फिर आत्म अन्वेषण और अभ्यास से आता है निर्विकल्प ध्यान। यही सतत ध्यान अंत में समाधि में परिणित होता हैं।