अयोध्या राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा को एक महीना हो गया है। प्राण प्रतिष्ठा के बाद रामलला के साथ अवधपुरी भी मालामाल हो गई है। अयोध्या धाम में राममंदिर के आस-पास एक महीने से मेले जैसा माहौल है।

प्राण प्रतिष्ठा के बाद रामलला के साथ अवधपुरी भी मालामाल, एक महीने से मेले जैसा माहौल

अवधपुरी में श्रीरामजन्मभूमि पर बने भव्य मंदिर में 22 जनवरी को हुई प्राण प्रतिष्ठा के बाद रामलला के साथ ही समूची अयोध्या के दिन बहुर गए। औसतन प्रतिदिन दो लाख से अधिक श्रद्धालुओं की आमद से धार्मिक पर्यटन से जुड़े हर तरह के व्यवसाय को पंख लग गए हैं। होटल, रेस्तरां, परिवहन, प्रसाद, पूजा सामग्री समेत तमाम तरीके के व्यवसाय में उम्मीद से अधिक बढ़ोतरी हुई है। केवल राममंदिर-हनुमानगढ़ी से सटी पांच सौ से अधिक प्रसाद, पूजा, खाने पीने की दुकानों में पांच से सात गुना की बिक्री बढ़ गई है।

राममंदिर के आसपास महज चार घंटे बंद रह पा रही दुकानें
राममंदिर, हनुमानगढ़ी, कनक भवन के आसपास की सैकड़ों दुकानें महज चार पांच घंटे के लिए ही बंद रह पा रही हैं। अयोध्या व्यापार मंडल के महामंत्री नंदलाल गुप्ता कहते हैं कि इस एक महीने में सुबह पांच बजे से रात दस बजे तक के लिए हनुमानगढ़ी की 95 दुकानें अनवरत चलती रहती हैं। यहां प्रसाद की बिक्री में कम से कम पांच से सात गुना की बढोतरी हुई है। यही हाल कनकभवन, राममंदिर के आसपास की सैकड़ों दुकानों का है। पूजा सामग्री, खानपान, माला फूल से जुड़े व्यवसाइयों पर रामलला की जबरदस्त कृपा बरस रही है।

खड़े खड़े रामलला कृपा बरसा रहे 
सबसे खास रामलला की विशेष फ्रेम वाली तस्वीर, चाबी के गुच्छे, स्टिकर, फाइबर, मिट्टी, मेटल आदि से बने रामलला दरबार के स्मृतिचिह्न लोग खूब खरीदारी कर रहे हैं। राममंदिर का माडल उच्च लोकप्रियता में है। कई अन्य तरह के व्यवसाय से जुड़े लेाग अब अपना पुराना व्यवसाय बंदकर राम से जुड़कर विकास में भागीदार बन रहे हैं। खास ये है कि सबसे ज्यादा लाभ बिना किसी दुकान के हाथ में लेकर बेचने वाला ज्यादा लाभ कमा रहे हैं। यही हाल चंदन टीका वाले छोटे छोटे बच्चे भी दिन भर में हजार हजार रुपये लेकर घर जा रहे हैं। दर्शन नगर का रामू पहले आटो मोबाइल की दुकान पर काम करता था अब चंदन टीका लगाकर दर्शनार्थियों का स्वागत कर रहा है।

होटलों में एडवांस बुकिंग जारी 
अयोध्या में सत्तर से अधिक होटलों में एक महीने बाद भी बुकिंग को लेकर मारामारी है। मार्च तक वीकेंड के कमरे अच्छे होटलों में बुक हैं। कई नए नए खुले होटलों को तो रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह पर उम्मीद से बढिया ओपनिंग मिली। खास ये है कि ये बूम अभी कायम है। अच्छो होटलों में यदि पहले से बुकिंग नहीं है तो यहां पहुंचकर श्रद्धालुओं को भटकना पड़ता  है। रामायना होटल के मैनेजर सूर्यकांत त्रिपाठी कहते हैं कि देश के लगभग सभी महानगरों से हवाई सेवाओं के शुरू हो जाने के चलते हाई प्रोफाइल भक्तों की आमद भी बढ़ी है। अभी रामनवमी तक यही हाल रहने की उम्मीद है। होटलों की जबरदस्त कमी के चलते श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र व प्रशासन के कई टेंट सिटी अभी भी अनवरत चल रहे हैं।

रामलला प्राण प्रतिष्ठा के बाद ई- रिक्शा व ई-आटो की बिक्री बढ़ी 
रामलला प्राण प्रतिष्ठा के बाद से रामनगरी को प्रदूषण मुक्त करने के लिए वाहन चालकों भी जागरूकता आई है। वाहन चालक अब जान चुके हैं कि  डीजल-पेट्रोल वाहनों का मंदिर के आसपास फटकना मुश्किल होगा। इसलिए ये सभी ऐसे वाहनों से किनारा कर रहे हें और इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीदारी पर जोर दे रहे हैं। श्रद्धालुओं की आमद बढ़ने से जिले में ई- रिक्शा व ई-ऑटो की खरीदारी बढ़ गई है। अभी तक परिवहन विभाग के संभागीय कार्यालय में 8200 ई- रिक्शा पंजीकृत थे, लेकिन रामलला प्राण प्रतिष्ठा के बाद से माहभर में यह आंकड़ा बढ़कर लगभग नौ हजार पहुंच गया है। विभागीय अफसरों की मानें तो प्रत्येक माह 500 ई-रिक्शा और ई- आटो का पंजीकरण हो रहा है।

रामलला पर चढ़ावे की होड़, लगानी पड़ी अतिरिक्त मशीनें 
23 जनवरी के बाद से प्रतिदिन औसतन दो लाख से अधिक श्रद्धालु दर्शन के लिए आ रहे हैं। अब तक 62 लाख से अधिक लोग अयोध्या राममंदिर में दर्शन के लिए आ चुके हैं। इस लिहाज से मंदिर में अलग अलग लगे 6 दानपात्रों में दान भी खूब आ रहा है। अब हाथ से नोटों की छंटाई करना मुश्किल हो रहा है। इसलिए दस, बीस, पचास, सौ, दो सौ, व पांच सौ की नोटों को छंटाई कर अलग अलग गड्डी बनाने के लिए एसबीआई ने आटोमैटिक मशीनें खरीद कर लगाई है।

अब ये मशीनें रोजाना आने वाले फुटकर चढ़ावे को गिनकर रखती हैं जिसे बाद में बैंक में जमा कराया जाता है। राममंदिर में आने वाले कैश को एसबीआई के खाते में जमा कराया जाता है इसके अलावा भी कई अन्य खाते राममंदिर के संचालित हैं। केवल एसबीआई की बात करें तो यहां प्रतिदिन औसतन तीस लाख रुपये कैश जमा हो रहा है। जबकि प्राण प्रतिष्ठा के पहले यह औसतन दस लाख था। सोना चांदी, चेक व डीडी आदि अलग अलग खातों में जमा होते हैं।

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