इसी क्रम में एक बार फिर उन्होंने फिर से बिहार में बदलाव लाने की बात कही है। साथ ही उन्होंने अपने बचपन की कहानी भी सुनाई, आखिर कैसे उन्हें क्लास में बच्चे बिहारी कहकर चिढ़ाते थे। बहुत पीड़ा होती थी।
भोपाल के स्कूल में बच्चे बिहारी कहकर चिढ़ाते थे
विकास वैभव ने कहा कि बचपन में बेगूसराय रिफाइनरी में पढ़ाई हुई थी, वहां भी बाहर से आए लोग बिहार के लोगों को अलग नजरिए से देखते थे। फिर मेरे पिताजी की पोस्टिंग मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल हो गई जहां मैंने कक्षा 9 में केंद्रीय विद्यालय में प्रवेश लिया था।
कुछ दिन तो सब सही रहा लेकिन फिर वहां के बच्चों ने मुझे बिहारी कहकर चिढ़ाना शुरू कर दिया, जिससे मुझे बहुत पीड़ा हुई। उसी दिन से मैंने ठान लिया था कि बिहार की इस छवि को बदलकर रहूंगा।
बिहारी को तुम क्या समझते हो: विकास वैभव
विकास वैभव ने कहा कि उस दिन मैंने बताने की कोशिश की थी कि बिहारी को तुम क्या समझते हो? बिहार बौद्धिक ज्ञान का वाहक है। बिहार के लोग जब ठान लेते हैं, वह टॉप भी करके दिखाते हैं। वह कुछ बड़ा करके भी दिखाते हैं।
बिहारी शब्द को अपमान का सूचक किसने बनाया?: विकास वैभव
विकास वैभव ने कहा कि कुछ दिनों बाद मैं वहीं सांची विदिशा घूमने गया था। सम्राट अशोक मगध से यहां तक शासन करते थे। टीवी पर सिरियल देखते थे ‘चाणक्य’ का, तब ऐसा लगता था कि उस बिहारी शब्द जिसे सम्मान का प्रतीक होना चाहिए था। उसे अपमान का सूचक किसने बनाया।
क्या कारण थे कि बिहारी अपमान के सूचक हो गए। प्राचीन काल में बिहार ऐसा शब्द था जिसके चलते पूरे राष्ट्र में सम्मान का भाव जगता था।
इस अपमान को मुझसे सहा नहीं गया और फिर बाल्या अवस्था में मैंने भी ठान लिया था कि अपने जीवन काल में कुछ कर सकता हूं या मेरी कुछ भूमिका हो सकती है जिससे बिहार शब्द पुनः सम्मान का सूचक बन जाए।
मैं इसके लिए सर्वस्व समर्मित करने के लिए तैयार हूं। Lets Inspire Bihar भी उसी का हिस्सा है जहां से बिहार में बदलाव लाना है।