IAS अधिकारी सौम्या के लिए यूपीएससी का सफर आसान नहीं था। इस दौरान उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ा था। सौम्या शर्मा  ने साल 2017 में यूपीएससी परीक्षा दी थी, जिसमें उन्होंने ये परीक्षा पहले ही प्रयास में पास कर ली थी। बता दें, ऑल ओवर इंडिया में उन्होंनेॉ 9वीं रैंक के साथ इस परीक्षा में सफलता हासिल की थी।

सौम्या शर्मा का जन्म दिल्ली में डॉक्टर माता- पिता के घर हुआ था। वह केवल 11 साल की थी जब उनकी सुनने की क्षमता कम होने लगी थी। 16 साल की उम्र तक उन्होंने अपनी सुनने की क्षमता पूरी तरह से खो दी थी। उनका कई लंबे समय तक इलाज चला, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। बता दें, उन्हें  ठीक से सुनने के लिए हियरिंग ऐड का इस्तेमाल करने की सलाह दी गई थी। अब वह इसी का ही इस्तेमाल ठीक से सुनने के लिए कर रही हैं।

16 साल की उम्र में सुनने की क्षमता को खो देना, उनके लिए एक बड़ा झटका था, लेकिन उन्होंने हौसला टूटने नहीं दिया और स्कूल में कड़ी मेहनत की। जिसके बाद उन्होंने लॉ की पढ़ाई करने के लिए नेशनल लॉ स्कूल में एडमिशन लिया।

ग्रेजुएशन लॉ की पढ़ाई के बाद, उन्होंने तब सुर्खियां बटोरीं जब उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय को एक पत्र लिखकर विकलांग कोटा में श्रवण विकलांगता को शामिल करने की मांग की थी। बता दें, उस समय श्रवण विकलांगता को विकलांग कोटे में शामिल नहीं किया गया था।

बता दें, ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद सौम्या ने यूपीएससी परीक्षा देने के बारे में सोचा। जिसके बाद उन्होंने फैसला लिया कि वह इस परीक्षा में शामिल होगी और तैयारी शुरू कर दी। बता दें, उन्होंने साल 2017 में पहली बार यूपीएससी की परीक्षा दी थी, जिसमें उन्होंने पहले ही प्रयास में ही परीक्षा पास कर IAS अधिकारी का पद हासिल कर लिया था।

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