महाराष्ट्र में रविवार को हुए नाटकीय घटनाक्रम के तहत एनसीपी नेता अजित पवार ने शिंदे सरकार में बतौर डिप्टी सीएम शपथ ले ली। अजित पवार के इस कदम ने महाराष्ट्र के सियासी जगत में तो हलचल मचाई ही है।

साथ ही चाचा शरद पवार की कई सियासी योजनाओं पर पानी फेर दिया है। साल 2024 के लोकसभा चुनावों के मद्देनजर राष्ट्रीय स्तर पर नई महत्वाकांक्षाओं को अंजाम देने की योजना में जुटे सीनियर पवार के लिए यह एक बड़ा झटका हो सकता है।

विपक्षी एकता की धुरी बनने की थी मंशा
गौरतलब है कि हाल ही में पटना में विपक्षी एकता के लिए हुई बैठक में एनसीपी मुखिया शरद पवार ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। इससे पहले भी वह भाजपा के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने की मुहिम में जुटे रहे हैं। विभिन्न दलों को एकमंच पर लाकर शरद पवार की मंशा थी कि वह भी अपने लिए किसी बड़ी भूमिका का इंतजाम करेंगे। हालांकि वह अपनी मंशा को सही मंजिल दे पाते ही उससे पहले अजित पवार ने उनके साथ बड़ा खेल कर दिया। अब शरद पवार के सामने यह संकट खड़ा हो गया है कि वह पार्टी बचाएं या भाजपा के खिलाफ मोर्चेबंदी में जुटे रहें। शरद पवार की सोच थी कि महाराष्ट्र विधानसभा में महाविकास अघाड़ी गठबंधन अगर बेहतर प्रदर्शन करता है तो यह उनके संयुक्त विपक्ष की योजना को धार देगा। लेकिन बदले माहौल में अब उन्हें नए सिरे से रणनीति तैयार करनी होगी। इन हालात में शरद पवार को अपनी ताकत पार्टी को बचाने में लगानी होगी। ऐसे में वह 2024 के लिए विपक्ष की एकजुट करने पर कितना ध्यान दे पाएंगे यह देखने वाली बात होगी।

अजित ने पार्टी पर भी ठोका है दावा
शिंदे सरकार में डिप्टी सीएम के रूप में शपथ लेने के बाद अजित पवार ने सिंबल और पार्टी पर भी दावा ठोंक दिया। अजित पवार ने कहा कि पूरी पार्टी उनके साथ है और उन्हें सभी का आर्शीवाद हासिल है। उनकी इस बात ने शरद पवार की चुनौती को और भी बड़ा कर दिया है। हालांकि शाम को ही शरद पवार ने भतीजे की बातों का खंडन कर दिया और कहा कि अजित पवार के इस फैसले में वह बिल्कुल भी साथ नहीं हैं। वहीं, देर शाम अजित पवार के साथ शपथ लेने वाले विधायकों की तस्वीरों के साथ एनसीपी दफ्तर में जो सुलूक किया गया है, उससे भी बड़ा संदेश देने की कोशिश की गई है। इसके बावजूद शरद पवार के लिए चुनौती इसलिए बड़ी हो जाती है क्योंकि लगभग इसी तरह के घटनाक्रम में शिवसेना की कमान एकनाथ शिंदे को मिल गई थी। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी के नाम और सिंबल की चाचा-भतीजे की लड़ाई में बाजी किसके हाथ लगती है।

शरद पवार ने कही यह बात
दूसरी तरफ शरद पवार भी इतनी आसानी से हार मानते नजर नहीं आ रहे हैं। शरद पवार ने कहा कि जिन लोगों ने पार्टी लाइन का उल्लंघन किया है, उनके खिलाफ कार्रवाई के बारे में पार्टी निर्णय लेगी। उसके लिए एक प्रक्रिया है और उस प्रक्रिया के तहत कार्रवाई शुरू की जाएगी। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने स्पष्ट किया कि पार्टी कानूनी तौर पर लड़ाई नहीं लड़ेगी और वह इसके बजाय लोगों के पास जाएंगे और उनका समर्थन मांगेंगे। यह पूछे जाने पर कि क्या मौजूदा घटनाक्रम ने उनके घर को विभाजित कर दिया है, उन्होंने नहीं में जवाब दिया। शरद पवार ने कहा कि यह एक घर का सवाल नहीं है। राजनीति में ऐसी चीजें होती रहती हैं और इससे राजनीतिक तौर पर निपटना होगा। महा विकास आघाड़ी के भविष्य से जुड़े सवाल पर पवार ने कहा कि तीनों गठबंधन सहयोगियों ने भविष्य में मिलकर काम करना जारी रखने का फैसला किया है।

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