अफसरों के ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर केंद्र सरकार से जंग लड़ रही दिल्ली सरकार ने एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। सर्वोच्च अदालत के फैसले को निष्प्रभावी करने वाले अध्यादेश को अरविंद केजरीवाल सरकार ने चुनौती दी है।

केजरीवाल सरकार ने यह कदम ऐसे समय पर उठाया है जब अध्यादेश को कानूनी रूप देने के लिए मॉनसून सत्र में संभावित बिल का रास्ता रोकने की तैयारी कर रही है। राज्यसभा में बिल को पास होने से रोकने के लिए आम आदमी पार्टी विपक्षी दलों से समर्थन जुटा रही है। आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट का आदेश भी नहीं मान रही और ये अध्यादेश असंवैधानिक है।

आप नेता जलाएंगे अध्यादेश की कॉपी
उधर, अध्यादेश के खिलाफ आम आदमी पार्टी विरोध करने के लिए इसकी प्रति को जल आएगी। दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल तीन जुलाई को इस अभियान की शुरुआत करेंगे और वह खुद पार्टी मुख्यालय में अध्यादेश की कॉपी को जलाएंगे। जबकि छह जुलाई को दिल्ली के सभी 70 विधानसभाओं में विधायकों के नेतृत्व में अध्यादेश की कॉपी जलाई जाएगी। इसके बाद 7 से 13 जुलाई तक दिल्ली के हर मोहल्ले और गली में इस अध्यादेश के खिलाफ अभियान चलाया जाएगा और इसके प्रति को जलाकर इसका विरोध जताया जाएगा।

केंद्र सरकार ने 19 मई को एक अध्यादेश जारी किया था, जिसने सुप्रीम कोर्ट के 11 मई को दिल्ली सरकार के हक में दिए आदेश को रद्द कर दिया था। कोर्ट ने तीन क्षेत्रों (पुलिस, पब्लिक ऑर्डर और लैंड) को छोड़कर सभी क्षेत्रों में नौकरशाहों को नियंत्रित करने का अधिकार निर्वाचित सरकार को दिया था। अध्यादेश ने केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच एक ऐसी लड़ाई दोबारा शुरू कर दी है जिसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने खत्म कर दिया था।

पिछले एक महीने में,केजरीवाल ने अध्यादेश के खिलाफ समर्थन हासिल करने के लिए कई विपक्षी नेताओं से मुलाकात की है। उनके अभियान का उद्देश्य केंद्र द्वारा अपने अध्यादेश को संसद में, विशेष रूप से राज्यसभा में पूर्ण कानून में बदलने के किसी भी कदम को रोकना है। केजरीवाल ने जेडीयू, आरजेडी, टीएमसी, शिवसेना (ठाकरे गुट) और वाम दलों के नेताओं से मुलाकात करके समर्थन जुटाया है। हालांकि, कांग्रेस ने अभी तक अपना रुख साफ नहीं किया है। केजरीवाल ने इस मुद्दे पर कांग्रेस से भी समर्थन मांगा है। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात के लिए समय भी मांगा था।

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