प्रस्तावित समान नागरिक संहिता (UCC) को लेकर मुस्लिम नेताओं और संगठनों ने रणनीतिक दृष्टिकोण अपनाया है। ऐसा माना जा रहा है कि मुस्लिम संगठन सार्वजनिक रूप से समान नागरिक संहिता (UCC) का विरोध नहीं करेंगे।
न्यूज18 की रिपोर्ट के मुताबिक, संगठनों का मानना है कि UCC का विरोध करने से आगामी विधानसभा चुनावों और 2024 के लोकसभा चुनावों में सत्तारूढ़ भाजपा को फायदा हो सकता है। मंगलवार को एक बैठक में, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने निर्णय लिया कि वह जल्द ही विधि आयोग को एक मसौदा दस्तावेज प्रस्तुत करेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को समान नागरिक संहिता पर जोर देते हुए पूछा था कि “देश दो कानूनों पर कैसे चल सकता है।” उन्होंने विपक्ष पर इस मुद्दे का इस्तेमाल मुसलमानों को “गुमराह करने और भड़काने” का आरोप लगाया था। चुनावी राज्य मध्य प्रदेश के भोपाल में भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, “आप मुझे बताएं, एक घर में एक सदस्य के लिए एक कानून और दूसरे सदस्य के लिए दूसरा कानून कैसे हो सकता है? क्या वह घर चल पाएगा? तो फिर ऐसी दोहरी (कानूनी) व्यवस्था से देश कैसे चल पाएगा? हमें यह याद रखना होगा कि भारत के संविधान में भी सभी के लिए समान अधिकारों का उल्लेख है।”
पीएम ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी यूसीसी की वकालत की है। यूसीसी लागू होने पर विभिन्न धर्मों के व्यक्तिगत कानून खत्म हो जाएंगे, लेकिन वोट बैंक की राजनीति करने वाले इसका विरोध कर रहे हैं। सिविल कोड को लेकर ताजा चर्चा ऐसे समय में फिर से शुरू हुई है जब लोकसभा चुनाव में एक साल से भी कम समय बचा है। यूसीसी लंबे समय से भाजपा के तीन प्रमुख चुनावी मुद्दों में से एक रहा है, जिसमें दो मुद्दे जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाना और अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण शामिल है।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ऑनलाइन बैठक
दो दिन पहले देश में मुसलमानों के सबसे बड़े धार्मिक संगठन ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने एक बैठक कर समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का विरोध जारी रखने का निर्णय लिया। हालांकि संगठन ने कहा है कि वह इस सिलसिले में विधि आयोग के सामने अपनी दलीलों को और जोरदार ढंग से पेश करेगा। यह ऑनलाइन बैठक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा समान नागरिक संहिता (यूसीसी) की पुरजोर पैरवी किये जाने के कुछ घंटों बाद हुई थी।
बोर्ड के वरिष्ठ सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने बुधवार को ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि देर रात तक चली इस बैठक में मुख्यत: समान नागरिक संहिता के मसले पर बोर्ड के वकीलों द्वारा विधि आयोग के सामने रखी जाने वाली आपत्तियों के मसविदे पर विचार-विमर्श हुआ। उन्होंने कहा कि यह एक आम बैठक थी और इसे प्रधानमंत्री द्वारा मंगलवार को भोपाल में यूसीसी को लेकर दिये गये बयान की प्रतिक्रिया के तौर पर पेश नहीं किया जाना चाहिए।
मौलाना फरंगी महली ने बताया कि बैठक में यूसीसी का विरोध जारी रखने का फैसला किया गया और यह तय किया गया कि बोर्ड इस मामले में विधि आयोग के सामने अपनी दलीलों को और पुरजोर तरीके से रखेगा। आयोग के सामने आपत्ति दाखिल करने की अंतिम तिथि 14 जुलाई है। उन्होंने कहा कि बोर्ड का मानना है कि भारत जैसे बहुसांस्कृतिक और विविध परम्पराओं वाले देश में सभी नागरिकों पर एक ही कानून नहीं थोपा जा सकता, यह न सिर्फ नागरिकों के धार्मिक अधिकारों का हनन है बल्कि यह लोकतंत्र की मूल भावना के भी खिलाफ है।