केंद्र द्वारा लाए गए अध्यादेश को लेकर केजरीवाल सरकार और कांग्रेस के बीच खींचतान जारी है। दरअसल, विपक्षी दलों की महाबैठक के बाद आप ने दो टूक कह दिया है कि जब तक कांग्रेस अध्यादेश के खिलाफ संसद में वोटिंग का भरोसा नहीं देती, तबतक वह उसके साथ किसी गठबंधन या मीटिंग में शामिल नहीं होगी।

इसके बाद मीटिंग के बाद जॉइंट प्रेस ब्रीफिंग में भी अरविंद केजरीवाल शामिल नहीं हुए। दूसरी तरफ कांग्रेस के तेवर भी सख्त है। टाइम्स ऑफ़ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कांग्रेस ने टका सा जवाब दिया है कि अपनी बात मनवाने के लिए हमारी कनपटी पर बंदूक मत रखिए।

इस मुद्दे पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और केसी वेणुगोपाल ने अरविंद केजरीवाल की कोशिशों पर सवाल उठाया है। कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी की भाषा पर ऐतराज जताया। साथ ही खरगे ने आप के बयान को ‘भड़काऊ’ बताया। वहीं कांग्रेस महासचिव वेणुगोपाल ने कहा, ‘आप हमारी कनपटी पर बंदूक रखकर फैसला लेने के लिए नहीं कह सकते।’

आप ने की अध्यादेश पर कांग्रेस की ‘चुप्पी’ की निंदा
आम आदमी पार्टी (आप) ने केंद्र सरकार के अध्यादेश पर कांग्रेस की ‘चुप्पी’ की निंदा की। हालांकि, अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर आप ने केंद्र के उक्त अध्यादेश को एक ”काला अध्यादेश” बताते हुए उसको लेकर एक बयान जारी किया है। बयान में कहा गया है कि अध्यादेश का उद्देश्य ना केवल दिल्ली में एक निर्वाचित सरकार के लोकतांत्रिक अधिकारों को छीनना है, बल्कि यह भारत के लोकतंत्र और संवैधानिक सिद्धांतों के लिए एक खतरा है। बयान में कहा गया है कि पटना में बैठक में भाग लेने वाले दलों में से 12 दलों का राज्यसभा में प्रतिनिधित्व है और कांग्रेस को छोड़कर अन्य सभी ने अध्यादेश के खिलाफ स्पष्ट रूप से अपना रुख व्यक्त किया है और घोषणा की है कि वे इसका राज्यसभा में विरोध करेंगे।

बयान में अफसोस जताया गया है कि कांग्रेस ने अभी तक इस ‘काले अध्यादेश’ पर अपनी स्थिति सार्वजनिक नहीं की है। बयान में कहा गया है कि कांग्रेस की दिल्ली और पंजाब इकाइयों ने घोषणा की है कि पार्टी को इस मुद्दे पर मोदी सरकार का समर्थन करना चाहिए। आप द्वारा जारी बयान में दावा किया गया है कि पटना में शुक्रवार को बैठक के दौरान कई दलों ने कांग्रेस से सार्वजनिक रूप से ‘काले अध्यादेश’ की निंदा करने का आग्रह किया। हालांकि, कांग्रेस ने ऐसा करने से इनकार कर दिया। आप के बयान में कहा गया है कि सबसे पुरानी पार्टी की चुप्पी उसके वास्तविक इरादों पर संदेह पैदा करती है।

शुक्रवार को हुई महाबैठक
बैठक में कांग्रेस का प्रतिनिधित्व राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे ने किया। विपक्षी दलों की पत्रकार वार्ता में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, जिन्होंने यह बैठक बुलाई थी, ने आप की अनुपस्थिति को कमतर करके दिखाने की कोशिश की। जदयू के शीर्ष नेता नीतीश ने कहा, ”जिन लोगों को जल्दी उड़ान पकड़नी थी, वे पत्रकार वार्ता के लिए नहीं रुक सकते थे, उनपर ध्यान नहीं केंद्रित करें, इस पर ध्यान दें कि हमारे प्रयास में कितनी पार्टियां शामिल हुई हैं।’

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