बिहार में महागठबंधन की वोटर अधिकार यात्रा जारी है। इसका नेतृत्व पूर्व उपमुख्यमंत्री और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी कर रहे हैं। इस यात्रा में अन्य राज्यों के मुख्यमंत्री भी हिस्सा ले रहे हैं, जो इंडिया गठबंधन के हैं। यात्रा में तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन भी शामिल हुए। अब इसको लेकर महागठबंधन, एनडीए और जन सुराज के प्रशांत किशोर के निशाने पर है।

Rivals question DMK's confidence after Stalin hires Prashant Kishor's firm  | Chennai News - The Indian Express

प्रशांत किशोर ने स्टालिन को लेकर राहुल-तेजस्वी को घेरा

प्रशांत किशोर बक्सर में थे और उनसे रेवंत रेड्डी और स्टालिन को लेकर सवाल पूछा गया। इसको लेकर प्रशांत किशोर ने कहा, “रेवंत रेड्डी ने कहा था बिहारी के डीएनए में मजदूरी करना है। उसी रेवंत रेड्डी को यह लोग मंच पर बुलाकर वोट मांग रहे हैं। इनको लगता है बिहार के सारे लोग बेवकूफ हैं। आज स्टालिन बिहार में आए हैं। इसी तमिलनाडु में बिहार के बच्चों को मारा गया था, तब स्टालिन कहां थे? आज स्टालिन बिहार में वोट मांग रहे हैं। यह बिहारी के मुंह पर तमाचा है। जो तमिलनाडु, तेलंगाना, महाराष्ट्र में बिहार के लोगों को थप्पड़ मारता है, उसकी हिम्मत हो गई कि बिहार में आकर वोट मांग रहा है। यह कांग्रेस और तेजस्वी यादव का चरित्र भी दिखाता है।”

प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार से बिहार के बच्चों का भविष्य तय होगा। उन्होंने कहा की जो लोग 30-35 साल से बीजेपी का डर दिखाकर वोट मांगते थे और बीजेपी-जेडीयू के लोग लालू का डर दिखाकर वोट मांग रहे थे, अब वह समय खत्म हो चुका है। प्रशांत किशोर ने कहा कि अब बिहार की जनता के सामने सीधा विकल्प है। जन सुराज का विकल्प है, बच्चों की शिक्षा का विकल्प है।

प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार सरकार ने पिछले 6 महीने में जिन लोगों पर भी लाठियां बरसाई है, वह अब उनसे हिसाब मांगेंगे। अब जनता की बारी है। प्रशांत किशोर ने कहा कि जब यह लोग वोट मांगने जाएंगे, तब जनता इनका हिसाब करेगी।

स्टालिन ने क्या कहा?

एमके स्टालिन ने मुजफ्फरपुर रैली में कहा कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने लोकतंत्र की रक्षा के लिए हाथ मिलाया है और बिहार चुनाव में बीजेपी की हार होगी। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी ने चुनाव आयोग को कठपुतली बना दिया है। स्टालिन ने कहा कि मतदाता सूची से 65 लाख मतदाताओं के नाम हटाना आतंकवाद से भी ज्यादा खतरनाक है।

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