कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतु्र्थी तिथि को सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए करवा चौथ का व्रत करती हैं। इस दिन स्त्रियां निर्जला व्रत रखती हैं। चंद्रोदय के बाद चांद को छलनी से देख पति का दर्शन करके उनके हाथों से जल ग्रहण करती हैं। करवा चौथ पर रात को चंद्रमा के दर्शन के बाद व्रत का पारण करती हैं। करवा चौथ के दिन भगवान शंकर, भगवान गणेश, माता गौरा व कार्तिकेय भगवान की पूजा का विधान है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से पति का साथ बना रहता है। मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से सौभाग्य की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख-संपदा व शांति बनी रहती है। करवा चौथ के दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत पूर्ण माना जाता है।

चंद्रमा को अर्घ्य देने की विधि- करवा चौथ के दिन शाम को कथा पूजा आदि संपन्न करने के बाद कलश में चांदी का सिक्का, अक्षत के साथ चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है। व्रती महिलाओं को अपनी परंपरा के अनुसार पति के दर्शन करने चाहिए।

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