कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतु्र्थी तिथि को सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए करवा चौथ का व्रत करती हैं। इस दिन स्त्रियां निर्जला व्रत रखती हैं। चंद्रोदय के बाद चांद को छलनी से देख पति का दर्शन करके उनके हाथों से जल ग्रहण करती हैं। करवा चौथ पर रात को चंद्रमा के दर्शन के बाद व्रत का पारण करती हैं। करवा चौथ के दिन भगवान शंकर, भगवान गणेश, माता गौरा व कार्तिकेय भगवान की पूजा का विधान है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से पति का साथ बना रहता है। मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से सौभाग्य की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख-संपदा व शांति बनी रहती है। करवा चौथ के दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत पूर्ण माना जाता है।
चंद्रमा को अर्घ्य देने की विधि- करवा चौथ के दिन शाम को कथा पूजा आदि संपन्न करने के बाद कलश में चांदी का सिक्का, अक्षत के साथ चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है। व्रती महिलाओं को अपनी परंपरा के अनुसार पति के दर्शन करने चाहिए।
चंद्रमा को अर्घ्य देने का मंत्र-चंद्रमा को अर्घ्य देते समय गगनार्णवमाणिक्य चन्द्र दाक्षायणीपते मंत्र का जाप कर सकते हैं।
कब नहीं नहीं करनी चाहिए चंद्र देव की पूजा- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूतक काल या मासिक धर्म होने पर महिलाओं को चंद्रमा को अर्घ्य देने की मनाही होती है। इस स्थिति में पांच बार चावल चंद्र देव के नाम से अर्पण करने चाहिए। मान्यता है कि इन परिस्थितियों में करवा चौथ व्रत कथा पुस्तक भी सुनने की मनाही होती है।
करवा चौथ 2024 का चांद कितने बजे निकलेगा-द्रिक पंचांग के अनुसार, करवा चौथ के दिन चंद्रोदय का समय रात 07 बजकर 53 मिनट है।
कथा सुनने या पढ़ने का शुभ मुहूर्त-ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, 20 अक्तूबर को चंद्रमा का उदय रोहिणी नक्षत्र में होगा। करवा चौथ पूजन के लिए यह संयोग सबसे उत्तम व शुभ माना जा रहा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, 27 पत्नियों में अति प्रिय रोहिणी के साथ होने से यह योग बन रहा है। चंद्रमा रात 01 बजकर 02 मिनट तक रोहिणी नक्षत्र में रहेंगे। करवा चौथ की कथा व पूजन के लिए शाम 05 बजकर 43 मिनट से रात 08 बजकर 54 मिनट तक का समय उत्तम माना जा रहा है।