महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव के एलान के साथ ही राजनीतिक पार्टियों की गहमागहमी रफ्तार के नए सियासी ट्रैक पर बढ़ने लगी है। केंद्र में सत्ताधारी भाजपा-एनडीए हरियाणा की चुनावी कामयाबी के टॉनिक से मिली गति को इन दोनों राज्यों में जारी रखने में कोई कसर नहीं छोड़ेगा।

कांग्रेस के सामने दोहरी चुनौती

वहीं, जम्मू-कश्मीर में आईएनडीआईए की जीत भी हरियाणा में कांग्रेस की अप्रत्याशित हार के सदमे की भरपायी करती नहीं दिखी है। ऐसे में गठबंधन की अगुवाई कर रही कांग्रेस के सामने हरियाणा के सियासी हादसे को पीछे छोड़ जीत की राह पर लौटने के साथ-साथ विपक्षी राजनीति को डांवाडोल होने से बचाने की चुनौती है। कांग्रेस की यह चुनौती दोहरी है क्योंकि इन दोनों चुनावी राज्यों में पार्टी गठबंधन के साथियों के साथ चुनाव मैदान में होगी जहां सहयोगी दलों से सामंजस्य बिठाने की जिम्मेदारी भी उसके कंधे पर ही है।

कांग्रेस की अग्नि परीक्षा

  • चुनावी तारीखों के मंगलवार को हुए एलान के बाद कांग्रेस की सबसे पहली सियासी अग्नि परीक्षा सीट बंटवारे को लेकर होगी। महाराष्ट्र और झारखंड में कांग्रेस के गठबंधन की चुनौतियां अलग-अलग है।
  • कांग्रेस हाईकमान के साथ सोमवार को हुई बैठक में महाराष्ट्र के पार्टी नेताओं ने राज्य की 288 सीटों में से 90 प्रतिशत सीटों के बंटवारे पर सहमति बन जाने के दावे किए।

 

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