राज्य सभा के उप सभापित हरिवंश ने पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर को विलक्षण दृढ़-निश्चयी, साहसी और कर्तव्य निष्ठ नायक बताते हुए सोमवार को कहा कि 1980 के दशक में “उनकी सरकार को इसलिए गिराया गया ताकि अयोध्या विवाद के समाधान का श्रेय उन्हें न मिल सके।” पेशे से पत्रकार रहे हरिवंश ने कहा कि चंद्रशेखर प्रधानमंत्री के रूप में अपने अल्पावधि के कार्यकाल में “अयोध्या विवाद को बातचीत से हल करने के निकट पहुंच चुके थे।” उन्होंने कहा कि यह बात राजनेता शरद पवार ने भी अपनी पुस्तक में लिखी है और कुछ अन्य जानकार लोगों ने भी इसका उल्लेख किया है।

‘चंद्रशेखर: दी लास्ट आयकन ऑफ आयडोलॉजिकल पालिटिक्स’ (चंद्रशेखर: आदर्शवादी राजनीति के अंतिम शलाका पुरुष) के सह-लेखक हरिवंश ने कहा, “चंद्रशेखर की सरकार इसलिए गिरा दी गयी थी ताकि उनको अयोध्या विवाद हल करने का श्रेय न मिल जाय।” हरिवंश ने अंग्रेजी में यह पुस्तक रविदत्त बाजपेयी के साथ मिल कर लिखी है। उन्होंने बताया कि वह चंद्रशेखर के जीवन और कृतित्व पर हिंदी में पुस्तक पर भी काम कर रहे हैं।

हरिवंश प्रखर समाजवादी नेता एवं पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की 17वीं पुण्यतिथि पर यहां आयोजित एक सभा को संबोधित कर रहे थे। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता लोक सभा सदस्य लवली आनंद ने की और इसका आयोजन चंद्रशेखर के अनुयायी एवं पूर्व सांसद आनंद मोहन ने किया। मोहन को इस आयोजन के लिए भेजे गए संदेश में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा, “चंद्रशेखरजी अपनी सरलता, ईमानदारी, दृढ़ निश्चय और साहस के लिए जाने जाते थे।”

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