प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता के बावजूद उम्मीदवारों के चयन और चुनावी मुद्दों को सेट करने में विफलता लोकसभा चुनाव में भाजपा पर भारी पड़ी। कुछ राज्यों में बड़े नेताओं के अहं का टकराव भी नतीजों पर नकारात्मक असर पड़ा। चुनाव नतीजों से साफ है कि 2014 और 2019 में भाजपा को स्पष्ट बहुमत दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले यूपी में अपने ओबीसी वोट बैंक को सहेजने में विफल रही।
इस बार राष्ट्रीय मु्द्दे के अभाव में स्थानीय मुद्दे चुनाव में हावी रहे। राष्ट्रीय मु्द्दों के अभाव में दो-दो, तीन-बार के सांसदों के खिलाफ जनता की नाराजगी का भी नतीजों पर असर पड़ा। भाजपा सत्ताविरोधी लहर से निपटने के लिए हर बार चुनाव में अपने पुराने प्रत्याशियों को बदलने के लिए जानी जाती है। लेकिन इस बार भाजपा ने पुराने सांसदों को बदलने में कोताही दिखाई। बिहार और राजस्थान में भाजपा की सीटों में कमी के पीछे इसे अहम वजह माना जा रहा है।