झाँसी | हम सब हमेशा कहते हैं कि महिलाएं आगे बढ़ना चाहती हैं और आत्मनिर्भर बनना चाहती हैं, लेकिन समाज उनके पैरों में बेड़ियां डालता है व उनकी तरक्की को रोकता है।हालांकि यह पूरी तरह से सच नहीं है। यह कहना है राष्ट्रीय मानवाधिकार सेवा संगठन कि उत्तर प्रदेश निर्वाचन अधिकारी राधिका तिवारी का.
राधिका तिवारी ने कहा कि महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में घर-परिवार का समर्थन रहता है तो समाज की भी महती भूमिका रहती है। अगर परिवार के पुरुष सदस्य हर छोटे-बड़े काम में महिलाओं को सपोर्ट न करें तो उनका मंजिल तक पहुंचना काफी कठिनाई भरा हो सकता है।वैसे अब वे रुकावट पैदा नहीं करते, बल्कि एक दोस्त और प्रदर्शक की भूमिका निभाते हैं। समाज व परिवार की सोच अब बदल रही है। महिलाओं पर विश्वास बढ़ रहा है। महिलाओं ने इनके सपोर्ट से कई मुकाम छुए हैं, लेकिन इस सपोर्ट को पाने के लिए खुद पर भरोसा जरूरी है साथ ही अपनी बात कहना जरूरी है। जैसे-जैसे लड़कियों ने अपनी उड़ान के लिए पंख फैलाए हैं और खुद को साबित किया है, वैसे-वैसे परिवार और समाज ने भी उनकी काबिलियत को स्वीकार कर लिया है। अब अगर वे अपने दम पर कुछ करना चाहती हैं तो उन्हें परिवार और समाज की सहमति मिल जाती है, बशर्ते उन्हें खुद पर भरोसा हो और वे आगे बढ़ने से डरती न हों।
उन्होंने महिलाओं से कहा कि आप डरें नहीं, सपोर्ट मांगे तो आपको सपोर्ट मिलेगा। आप पहले से यह न सोचें कि आपको सपोर्ट नहीं मिलेगा। मैंने हिचक छोड़कर सपोर्ट मांगा और मुझे मिला, बाकी हमें अपनी मेहनत और हिम्मत से ही आगे बढ़ना है।
उन्होंने कहा पहले लोगों को लगता था कि अगर महिला काम के लिए बाहर जाएगी तो घर का काम नहीं करेगी। पुरुषों की सोच थी कि घर का काम करना उनका दायित्व नहीं है। अब वे समझने लगे हैं कि परिवार को संभालना दोनों की जिम्मेदारी है। हालांकि महिलाओं को खुद को साबित करने में बहुत मेहनत करनी पड़ी है। कारण, चुनौतियां आज भी बहुत हैं।
