Dhananjay Singh Jaunpur अपहरण व रंगदारी मांगने के मामले में पूर्व सांसद धनंजय सिंह के 33 साल के आपराधिक इतिहास में पहली बार सजा सुनाई गई। धनंजय सिंह को कोर्ट ने इस मामले में सात साल की सजा सुनाई। धनंजय के खिलाफ पहली बार 1991 में मुकदमा दर्ज हुआ था। लगभग सभी मामलों उसके खिलाफ अभी किसी ने गवाही नहीं दी थी।
इसके बाद से लगातार कुल 43 मामले दर्ज हुए, लेकिन 42 में गवाही न होने व गवाहों के मुकर जाने से इनको राहत मिलती गई। पहली बार हुआ है कि वादी व गवाह के मुकरने के बाद भी अपर सत्र न्यायाधीश एमपी-एमएलए कोर्ट ने सात साल की सजा सुनाया। कोर्ट द्वारा सुनाए गए निर्णय में विवेचना के दौरान विवेचक द्वारा धनंजय सिंह के आपराधिक इतिहास का वर्णन किया गया है। बताया गया इन पर लखनऊ, जौनपुर, नई दिल्ली में 43 मुकदमे दर्ज हैं।
फर्जी एनकाउंटर के बाद धनंजय आए सुर्खियों में
बनसफा गांव में सामान्य परिवार में जन्मे धनंजय ने जौनपुर के टीडी कालेज से छात्र राजनीति की शुरुआत की। इसके बाद लखनऊ विश्वविद्यालय में मंडल कमीशन का विरोध कर धनंजय ने अपनी छात्र राजनीति को धार दी। वहीं, पर अभय सिंह के संपर्क में धनंजय आए और फिर हत्या आदि मुकदमों में नाम आने की वजह से सुर्खियों में रहा।
अक्टूबर 1998 में पुलिस ने बताया कि 50 हजार के इनामी धनंजय सिंह तीन अन्य बदमाशों के साथ भदोही-मीरजापुर रोड स्थित एक पेट्रोल पंप पर डकैती डालने आए थे।
दावा किया कि मुठभेड़ में धनंजय सहित चारों बदमाश मारे गए। हालांकि, धनंजय जिंदा थे और भूमिगत हो गए। फरवरी 1999 में धनंजय पुलिस के सामने पेश हुए तो भदोही की फर्जी मुठभेड़ का राजफाश हुआ। धनंजय के जिंदा सामने आने पर मानवाधिकार आयोग ने जांच शुरू की और फर्जी मुठभेड़ में शामिल रहे 34 पुलिस कर्मियों पर मुकदमे दर्ज हुए।
2020 में रात 2.50 बजे धनंजय हुए थे गिरफ्तार, गाड़ी ली गई थी कब्जे में
10 मई 2020 को रात दस बजे अभिनव सिंघल ने धनंजय सिंह व संतोष विक्रम के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराया था और रात 2.50 बजे आवास से धनंजय को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। उनके घर में खड़ी फार्च्यूनर गाड़ी को भी पुलिस ने कब्जा में लिया था।
धनंजय ने वादी को किया गया था बीस फोन व वाट्सएप काल
धनंजय सिंह ने इंडिया के नाम से जारी मोबाइल फोन से संतोष द्वारा वादी के मोबाइल नंबर पर 18 जनवरी 2020 से 10 मई 2020 को समय 7.31 बजे शाम तक 20 बार काल की गई थी। इस मोबाइल का प्रयोग धनंजय स्वयं व संतोष विक्रम करते हैं। अभिनव के अधिकारी मोहनलाल सिंघल के मोबाइल पर घटना के दिन के सीडीआर से स्पष्ट हुआ कि धनंजय ने वाट्सएप काल से भी काल कर बात की थी।