लखनऊ में प्राइवेट हॉस्पिटल की शर्मनाक हरकत सामने आई है। बिल बकाया होने पर अस्पताल प्रशासन ने बच्चे का शव देने से मना कर दिया। तीन घंटे तक शव को बंधक बनाए रखा।
लखनऊ, में मड़ियाव भिठौली के एक प्राइवेट अस्पताल में शनिवार देर शाम इलाज दौरान बच्चे की मौत हो गई। बिल बकाया होने पर अस्पताल प्रशासन ने बच्चे का शव देने से मना कर दिया। करीब तीन घंटे तक परिवारीजनों को शव नहीं सौंपा गया। तीमारदारों ने मामले की शिकायत डिप्टी सीएम कार्यालय में की। वहां से अस्पताल में फोन आने बाद आनन फानन में बच्चे का शव परिवारीजनों को सौंपा गया। परिवारीजनों ने मामले में लिखित शिकायत करेंगे।
लखीमपुर खीरी निवासी कालीचरण का बेटा सत्यम आठ साल करीब 10 दिन से बुखार से पीड़ित था। पहले परिवारीजनों ने उसका इलाज नजदीक के अस्पताल में कराया, लेकिन स्वास्थ्य लाभ न मिलने पर डॉक्टर ने उसे केजीएमयू रेफर कर दिया। परिवारीजन केजीएमयू जाने के बजाय मड़ियांव भिठौली चौराहा स्थित निजी हॉस्पिटल में बच्चे को भर्ती कराया। वहां पर डॉक्टरों ने जांच पड़ताल के बाद बच्चे को इंसेफ्लाइटिस से पीड़ित बताया। यहां बच्चे की हालत सुधरने की बजाय बिगड़ती जा रही थी। शनिवार शाम बच्चे को वेंटीलेटर सपोर्ट पर रखा गया, लेकिन उसकी मौत हो गई। बच्चे की मौत के बाद परिवारीजन शव ले जाने लगे तो अस्पताल प्रशासन से जुड़े लोगों ने 30 हजार रुपए का बिल थमा दिया। जब परिवारीजनों ने बिल का भुगतान कर पाने में असमर्थता जताई तो अस्पताल प्रशासन ने शव देने से मना कर दिया। कमरे में शव रखकर दरवाजा बंद कर लिया। परिवारीजनों से बिल भुगतान करने को दबाव बनाया।
इस पर परिवारीजनों ने डिप्टी सीएम के कार्यालय पर शिकायत की। वहां से फोन आने पर अस्पताल प्रशासन ने तीन घंटे बाद परिवारीजनों को शव सुपुर्द किया। पिता ने इलाज में कोताही का आरोप लगाया है। अस्पताल संचालक रोहित सिंह का कहना है कि शव रोके जाने का आरोप बेबुनियाद है। स्वास्थ्य मंत्री के यहां से कॉल आने पर तीमारदारों का 30 हजार रुपए बिल माफ किया गया। चार दिन का सिर्फ 25 हजार रुपए ही इलाज का बिल लिया गया है। इलाज में लापरवाही का आरोप बेबुनियाद है।