बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के अध्यक्ष नीतीश कुमार चार दिन पहले तक अपने डिप्टी सीएम रहे राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता तेजस्वी यादव और उनके पिता लालू प्रसाद यादव पर बुधवार को बरस पड़े। 17 महीने चली महागठबंधन सरकार के दौरान जातीय गणना, शिक्षक बहाली जैसे काम को लेकर आरजेडी के विज्ञापन में तेजस्वी यादव को धन्यवाद कहने से भड़के सीएम ने कहा कि उनकी नीतियों और सरकार के काम का आरजेडी जबरन क्रेडिट ले रही है। कभी तेजस्वी यादव को उत्तराधिकारी बता चुके नीतीश ने आज उन्हें बच्चा बताते हुए पूछा कि उनको क्या पता है।

नीतीश ने लालू यादव और राबड़ी देवी के कार्यकाल की याद दिलाते हुए कहा- “2005 के पहले क्या स्थिति थी। लोग शाम के बाद बाहर नहीं निकलते थे। रात में यहां से वहां नहीं जा पाते थे लोग। कोई काम नहीं हुआ उस शासन में। सारा काम 2005 के बाद हुआ। सड़कें बनीं, बड़े-बड़े भवन बने। हर घर तक पक्की सड़कें बनीं। पहले पैदल घूमना पड़ता था। आज लोग कहीं भी गाड़ी से जा सकते हैं। आज सारा कुछ बदल चुका है।” छठी बार बीजेपी के साथ मिलकर एनडीए सरकार चला रहे नीतीश ने कहा कि उनका एक ही उद्देश्य है, बिहार का विकास करना, विकास का काम करना, इसी में लगा रहता हूं, इसी में लगा रहूंगा। पत्रकारों से उन्होंने बिहार में हुए विकास के काम का प्रचार करने की अपील भी की।

जाति आधारित सर्वे यानी जातीय गणना को लेकर राहुल गांधी के दावे पर नीतीश ने कहा कि राहुल फालतू बात कर रहे हैं। जाति आधारित गणना की बात उन्होंने ही शुरू की थी, बाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मिले थे। उनकी सरकार ने ही बिहार में जातीय गणना कराने का फैसला किया था और उसे कराया। राहुल ने भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान अररिया में दावा किया था कि कांग्रेस के दबाव में नीतीश सरकार ने जातीय गणना कराई। फैक्ट ये है कि नीतीश ने एनडीए सरकार के दौरान ही जातीय गणना का फैसला लिया था और इसे महागठबंधन सरकार के दौरान पूरा करके रिपोर्ट जारी की गई।

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