झांसी! दुनियाभर में यूं तो कैंसर के मामले महिलाओं से ज्यादा पुरुषों में पाए जाते हैं लेकिन भारत में इसका ट्रेंड थोड़ा उल्टा है. इसकी वजह है सर्वाइकल कैंसर (गर्भाशय ग्रीवा), जो न सिर्फ वर्ल्ड लेवल पर महिलाओं की सेहत के लिए बड़ा खतरा है बल्कि भारत पर भी इसका गहरा प्रभाव है. सामाजिक बंदिशों और माहौल के हिसाब से यहां रिप्रोडक्टिव हेल्थ पर खुलकर बात नहीं होती है. ऐसे में जरूरी है कि सर्वाइकल कैंसर पर बात की जाए, इसके बारे में जागरूकता बढ़ाई जाए
डॉ मीनू वालिया, वाईस चेयरमैन , मेडिकल ऑन्कोलॉजी , मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल , पटपड़गंज ने बताया कि सर्विकल कैंसर एचपीवी के हाई रिस्क स्ट्रेन के लगातार इंफेक्शन के कारण होता है. ये कैंसर सबसे ज्यादा एचपीवी-16 और एचपीवी-18 के कारण होता है. इन वायरस स्ट्रेन से न सिर्फ सर्विकल कैंसर होता है बल्कि वैजाइनल, एनल और वैल्वुलर कैंसर का रिस्क भी रहता है. पुरुषों में एचपीवी की वजह से एनल, पेनिस और गले का कैंसर हो सकता है सर्विकल कैंसर सभी कैंसर में एक ऐसा कैंसर है जिससे बचाव किया जा सकता है लेकिन हैरानी की बात है कि ये भारतीय महिलाओं में दूसरा सबसे ज्यादा होने वाला कैंसर है. इसके आंकड़े पीड़ा देते हैं, भारत में हर 47 मिनट में एक महिला को सर्विकल कैंसर का पता चलता है और हर 8 मिनट में 1 महिला की मौत हो जाती है. हर साल एक लाख से ज्यादा महिलाएं इस बीमारी से जूझती हैं जिनमें से 60 हजार के करीब इसकी गिरफ्त में आ जाती हैं. ये आंकड़े दिखाते हैं कि इस समस्या का समाधान जल्द निकालने की जरूरत है. लेकिन अवेयरनेस की कमी और गलतफहमियों के चलते इसका असर बढ़ता है. खासकर, ग्रामीण इलाकों में बहुत महिलाओं को इस बात की जानकारी नहीं है कि किस तरह की सावधानियां बरतकर ऐसी परेशानियों से बचा जा सकता है.

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