जय प्रकाश मिश्रा जौनपुर
जनपद के द्रोणीपुर गांँव में दुर्गा प्रसाद मिश्र की दूसरी सन्तान के रूप में जन्मे, इंडोनेशिया की रामायण ककविन का हिंदी रूपांतर करने वाले, पद्मश्री प्रोफेसर अभिराज राजेंद्र प्रसाद मिश्र अयोध्या में भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के साक्षी बनेंगे। प्रोफेसर मिश्र ने संस्कृत भाषा की सेवा करते हुए ढाई सौ से अधिक मौलिक पुस्तकों की सर्जना की है। आपने जानकीजीवनम् और वामनावतरणम् नाम का महाकाव्य लिखा है।अभिराज राजेन्द्रमिश्र (1943) : अपने उच्चस्तरीय, मौलिक एवं गहनचिन्तनात्मक लेखन के लिए समूचे राष्ट्र में जाने-पहचाने जाते हैं। अभिराज राजेन्द्रमिश्र की अब तक संस्कृत, हिन्दी, अंग्रेजी तथा लोकभाषा में 250 से अधिक कृतियाँ प्रकाशित हैं तथा उन्हें
साहित्य अकादमी (1988)
वाचस्पति (1993) कल्पवल्ली (1998) महामहिम राष्ट्रपति (1999) वाल्मीकि (2009) दीनदयाल उपाध्याय हिन्दी-सम्मान (2014) तथा विश्वभारती (2015) से सम्मानित किया जा चुका है।
भारत सरकार ने 2020 में उन्हें पद्मश्री से अलंकृत किया। श्रीमती अभिराजीदेवी एवं पं. दुर्गाप्रसादमिश्र के मध्यमपुत्र के रूप में 2 जनवरी 1943 ई. को जौनपुर जनपद (उ.प्र.) के द्रोणीपुर गाँव में उत्पन्न मिश्र जी की उच्चशिक्षा (एम्.ए. संस्कृत, 1964) इलाहाबाद वि. वि. में अपने चाचा पद्मश्री प्रोफेसर आद्याप्रसाद मिश्र, पूर्व कुलपति इलाहाबाद विश्वविद्यालय के संरक्षण में सम्पन्न हुई। 1966 से 2006 तक वह इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज, उदयन यूनिवर्सिटी बाली (इण्डोनेशिया) तथा शिमला वि. वि. में विविध पदों पर रहकर, अन्ततः सम्पूर्णानन्द सं. वि. वि. वाराणसी के कुलपति-पद से सेवानिवृत्त हुए। प्रखर चिन्तक, वक्ता, नैष्ठिक राष्ट्रभक्त प्रो. मिश्र साहित्य अकादमी नई दिल्ली की संस्कृत परामर्शदात्री समिति के संयोजक भी रहे हैं। एक सिद्ध कवि एवं वक्ता के रूप में उन्होंने नेपाल, बैंकाक, बालीद्वीप, इंग्लैण्ड, जर्मनी तथा स्पेन में भी भारतीय धर्म, संस्कृति एवं साहित्य का मान बढ़ाया है। आप जगद्गुरु श्री रामभद्राचार्य जी के दीक्षित शिष्य हैं। आप द्वारा लिखित खंडकाव्य ‘मुक्तिदूत’ वर्ष 1976 से हाईस्कूल के पाठ्यक्रम में निर्धारित है। आप द्वारा ही लिखित संस्कृत गीत ‘वंदे सदा स्वदेशम्’ वर्तमान में कक्षा 5 एवं स्नातक स्तर पर पाठ्यक्रम में संचालित है। आपका सद्य: प्रकाशित ‘विश्वगुरु भारत’ भारत भक्तों का मार्ग प्रशस्त करने वाला महनीय ग्रंथ है, जिसकी भूमिका आदरणीय मोहन भागवत जी ने लिखी है।
आपकी प्राथमिक शिक्षा गांँव से शुरु हो कर जय हिन्द इन्टर कालेज तेजीबाजार और उच्चशिक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय मे सम्पन्न हुई।आपके इस सम्मान से सम्पूर्ण प्रदेश,जनपद अपने को सम्मानित और गौरवान्वित महसूस कर रहा है।
आपके इस सम्मान से परिवार के श्री सत्यव्रत मिश्र, अक्षयवट प्रकाशन, डॉ.शिवाकांत मिश्र प्राचार्य, डॉ .शैलेन्द्र कुमार मिश्र प्राचार्य, डॉ.आलोक कुमार मिश्र प्राविधिक सहायक, डॉ.इन्दु प्रकाश मिश्र प्राचार्य, विनोद कुमार मिश्र मुख्य अभियोजन अधिकारी, पुष्कर मिश्र प्रधानाध्यापक, रमाशंकर मिश्र सेक्शन आफिसर, शीतला शंकर मिश्र प्रधानाचार्य, भोला शंकर मिश्र प्रेस डिपार्टमेंट सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी भी गौरवान्वित हो रहे है।