रूस और यूक्रेन के बीच जंग जारी है। इसी बीच रूस ने एक ऐसी धमकी दे डाली है, जिससे यूक्रेन नहीं, बल्कि पूरी दुनिया सकते में है। रूस ने यूक्रेन से पहले हो चुके अनाज समझौते से हटने की धमकी दी है।

यदि ऐसा होता है तो पूरी दुनिया पर अनाज का संकट आ सकता है। रूस की इस चेतावनी के बाद वैश्चिक खाद्य सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ गई है। दरअसल, रूस और यूक्रेन के बेल्ट में पूरी दुनिया का 25 फीसदी अनाज प्रोडक्शन होता है। यदि समझौते से रूस पीछे हटा तो पूरी दुनिया और खासकर अफ्रीका और खाड़ी देशों में अनाज का बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा।

रूस द्वारा संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता से यूक्रेन के साथ हुए अनाज समझौते को आगे बढ़ाने की मंजूरी नहीं देने की आशंका से पूरी दुनिया में चिंता बढ़ती जा रही है। इस समझौते के तहत यूक्रेन को दुनिया के उन हिस्सों में अनाज की आपूर्ति करने की अनुमति मिली है जहां पर भुखमरी की स्थिति है।

ब्लैक सी के बंदरगाह पर नहीं आ रहे अनाज से भरे जहाज, निर्यात में आई कमी

रूस द्वारा समझौते की अवधि नहीं बढ़ाने की आशंका के बीच अब युद्धग्रस्त यूक्रेन के काला सागर बंदरगाह पर पोत नहीं आ रहे हैं और खाद्य सामग्री के निर्यात में कमी आ रही है। तुर्की और संयुक्त राष्ट्र ने पिछली गर्मी में वैश्विक खाद्य संकट को दूर करने के लिए मध्यस्थता की थी और उन्होंने अलग से भी रूस से करार किया था ताकि अनाज और उर्वरक के निर्यात के लिए पोतों को सुविधा दी जा सके।

रिकॉर्ड गेहूं निर्यात कर रहा है रूस!

मॉस्को जोर दे रहा है कि वह अब भी बाधा का सामना कर रहा है लेकिन आंकड़े दिखा रहे हैं कि वह रिकॉर्ड स्तर पर गेहूं का निर्यात कर रहा है। रूसी अधिकारी लगातार कह रहे हैं कि काला सागर के रास्ते अनाज निर्यात समझौते की अवधि का विस्तार करने का कोई आधार नहीं है, जिसका चौथी बार सोमवार को रीन्यू किया जाना है।

कौनसे अनाज किए जाते हैं निर्यात, कौन कौनसे देश हैं निर्भर?

रूस समझौते से हटने की पहले से धमकी दे रहा है और पूर्व में समझौते में तय चार महीने की अवधि के बजाय करार को दो बार दो-दो महीने के लिए विस्तारित किया गया। संयुक्त राष्ट्र और अन्य देश इस समझौते को बरकरार रखने का प्रयास कर रहे हैं। यूक्रेन और रूस दोनों गेहूं, जौ, वनस्पति तेल और अन्य खाद्य उत्पादों के प्रमुख आपूर्तिकर्ता हैं जिन पर अफ्रीका, मध्य पूर्व और एशिया के कुछ देश निर्भर हैं।

इतने करोड़ मीट्रिक टन अनाज बेच सकता है यूक्रेन

समझौते के तहत यूक्रेन को 3.28 करोड़ मीट्रिक टन (36.2 मिलियन टन) अनाज भेजने की अनुमति दी गई है, जिसमें से आधा अनाज विकासशील देशों के लिए है। अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान के वरिष्ठ अनुसंधान फेलो जोसेफ ग्लॉबर ने कहा, ‘रूस अगर समझौते को जारी रखता है तो उसे दुनिया से अच्छी प्रतिक्रिया मिलेगी।’ उन्होंने कहा, ”जहां तक रूस का सवाल है, अगर वह इस समझौते की अवधि का विस्तार नहीं करता तो मुझे लगता है कि सार्वजनिक धारणा और वैश्विक सद्भावना के रूप में उसे इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी।’

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