मालिक के लिए खेलने वाले अब देश के लिए खेलना भूल गए. वैसे भी आईपीएल फॉर्मेट में खेलने के तुरंत बाद टेस्ट फॉर्मेट में खेलना मुश्किल था, ICC अपना schedule बदल नहीं सकता था और हमारे खिलाडी पैसा और मालिक, मतलब आईपीएल छोड़ नहीं सकते थे, तो वही हुआ जो होना था. ऑस्ट्रेलिया ने भारत को बुरी तरह से हरा कर वर्ल्ड टेस्ट कप पर कब्ज़ा कर लिया ।वैसे भी आईपीएल खेल कम, तमाशा ज्यादा है….मदारी के डमरू की आवाज़ पर नाचने वाले बन्दर या फिर आईपीएल के पैसों की चकाचौंध में मालिक के लिए आपस में ही लड़ जाने वाले खिलाडियों में कोई ख़ास फर्क नहीं रहा.।
क्रिकेट खिलाडियों की सोच, निष्ठा, समर्पण सब 20 – 20 हो गयी. देश से बड़ा मालिक हो गया, खेल कोशल में स्थिरता की जगह छिछलेपन ने ले ली ……. तकनीक गयी भाड़ में …. जोर से घुमाओ बल्ला चाहे आउट ! चाहे छक्का !

शील शुक्ला,
सम्पादक “विज़डम इण्डिया” दैनिक समाचार पत्र

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