ओलंपिक कांस्य पदक विजेता बजरंग पूनिया की अगुवाई में शीर्ष पहलवानों की खेल मंत्री अनुराग ठाकुर के साथ उनके आवास पर बुधवार को महत्वपूर्ण बैठक हुई। अनुराग ठाकुर ने भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के निवर्तमान अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे पहलवानों के साथ समझौता करने के सिलसिले में छह घंटे तक लंबी बातचीत की।

बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए पहलवान बजरंग पुनिया ने कहा, “सरकार ने हमें आश्वासन दिया है कि 15 जून से पहले पुलिस जांच पूरी कर ली जाएगी। हमने अनुरोध किया है कि पहलवानों के खिलाफ सभी केस वापस लिए जाने चाहिए और उन्होंने इसके लिए हामी भर दी है। अगर 15 जून तक कोई कार्रवाई नहीं हुई तो हम अपना विरोध जारी रखेंगे।”

पहलवानों ने दिया 15 जून का अल्टीमेटम

बजरंग पुनिया ने कहा, “हमने कुछ मुद्दों पर चर्चा की थी। पुलिस की जांच 15 जून तक पूरी हो जानी चाहिए और मंत्री जी ने हमसे तब तक विरोध प्रदर्शन नहीं करने का अनुरोध किया है। उन्होंने यह भी कहा कि महिला पहलवानों की सुरक्षा का भी ध्यान रखा जाएगा। हमने अनुरोध किया है कि पहलवानों के खिलाफ सभी एफआईआर वापस ली जानी चाहिए और वह इसके लिए सहमत हो गए हैं।”

उधर पहलवानों के साथ छह घंटे तक लंबी बातचीत के बारे में जिक्र करते हुए खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा, “पहलवानों से मेरी 6 घंटे लंबी चर्चा हुई। हमने पहलवानों को आश्वासन दिया है कि 15 जून तक जांच पूरी कर ली जाएगी और चार्जशीट दाखिल कर दी जाएगी। 30 जून तक डब्ल्यूएफआई के चुनाव होंगे।”

गतिरोध खत्म करने के लिए ठाकुर ने यह बैठक बुलाई थी क्योंकि पहलवान इस बात पर अड़े हुए हैं कि वे तब तक अपना आंदोलन जारी रखेंगे जब तक कि बृजभूषण को गिरफ्तार नहीं किया जाता जिस पर कथित यौन उत्पीड़न के आरोप लगे हैं। आंदोलन की अगुआई कर रहे पहलवानों में शामिल विनेश फोगाट ने बैठक में हिस्सा नहीं लिया, क्योंकि वह हरियाणा के अपने गांव बलाली में हैं जहां पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार ‘पंचायत’ का आयोजन हो रहा है।

बजरंग, रियो ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक और उनके पहलवान पति सत्यव्रत कादियान बैठक के लिए ठाकुर के घर पहुंचे थे। आंदोलन में पहलवानों का समर्थन कर रहे भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के नेता राकेश टिकैत ने भी बैठक में हिस्सा नहीं लिया।

बृजभूषण की गिरफ्तारी की मांग

एक नाबालिग सहित सात महिला पहलवानों के कथित यौन उत्पीड़न के आरोपों का सामना कर रहे बृजभूषण की गिरफ्तारी की मांग को लेकर ये पहलवान 23 अप्रैल से दोबारा जंतर-मंतर पर धरने पर बैठे थे। लेकिन 28 मई को नए संसद भवन के उद्घाटन के मौके पर वहां महिला महापंचायत के आयोजन के लिए बढ़ने की कोशिश के बाद दिल्ली पुलिस ने पहलवानों को कानून और व्यवस्था बिगाड़ने के आरोप में हिरासत में ले लिया था और फिर उन्हें धरना स्थल से हटा दिया गया।

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