अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को कांग्रेस ने एक ही दिन में दो झटके दिए हैं। दिल्ली में प्रशासन चलाने को लेकर आए केंद्र सरकार के अध्यादेश पर कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी का साथ देने से इनकार किया है।
यही नहीं 2024 के आम चुनाव में भी उसके साथ गठबंधन करने से साफ इनकार कर दिया है। दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी के साथ मीटिंग के बाद नवजोत सिंह सिद्धू ने आम आदमी पार्टी संग गठबंधन की संभावनाओं को नकार दिया। पंजाब के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके सिद्धू ने कहा, ‘यदि हमारे बीच वैचारिक मतभेद हैं तो फिर गठबंधन नहीं हो सकता।’
आम आदमी पार्टी के लिए यह बड़ा झटका है, जिसके नेता अरविंद केजरीवाल अपने लिए राष्ट्रीय स्तर पर भूमिका देखते रहे हैं। कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी से दूरी रखने के संकेत कर्नाटक चुनाव के बाद भी दिए थे, जब उसने तमाम विपक्षी दलों को सिद्धारमैया की शपथ में बुलाया था। लेकिन अरविंद केजरीवाल को न्योता नहीं मिला था। यही नहीं इससे पहले भी विपक्षी एकता को लेकर कांग्रस ने जब भी मीटिंग्स बुलाईं तो अरविंद केजरीवाल की पार्टी को दूर ही रखा था। यही नहीं अरविंद केजरीवाल ने खुद ही आगे बढ़कर कांग्रेस से दिल्ली के लिए आए केंद्र सरकार के अध्यादेश के खिलाफ मदद मांगी थी।
दिल्ली और पंजाब के नेताओं की हाईकमान को दोटूक
इसके बाद भी कांग्रेस ने सीधे तौर पर कोई जवाब नहीं दिया था। इस पर ही फैसले के लिए उसने दिल्ली और पंजाब के अपने नेताओं की मीटिंग बुलाई थी। इस बैठक में दिल्ली और पंजाब यूनिट के नेताओं ने हाईकमान से दोटूक कह दिया कि आम आदमी पार्टी का साथ देना ठीक नहीं होगा। एक तरफ पंजाब से सिद्धू जैसे नेताओं ने आप का समर्थन ना करने की बात कही तो वहीं दिल्ली से अजय माकन और संदीप दीक्षित जैसे नेता आम आदमी पार्टी के मुखर विरोधी रहे हैं। दरअसल कांग्रेस को लगता है कि दिल्ली और पंजाब में ‘आप’ ने उसे ही हटाकर सत्ता हासिल की है।
क्यों आम आदमी पार्टी से दूरी बरत रही है कांग्रेस
इसके अलावा गुजरात, गोवा जैसे राज्यों में भी उसे ही नुकसान पहुंचाया है। ऐसे में कांग्रेस को लगता है कि आम आदमी पार्टी को समर्थन देना उन राज्यों में भारी पड़ सकता है, जहां वह उसके मुकाबले खड़ी है। यही वजह है कि राज्यों में अपने वजूद को बचाने के लिए कांग्रेस ने नेशनल लेवल पर आम आदमी पार्टी से दूर ही रहने का फैसला लिया है।