सीमांचल का इलाका हिमालय की तराई से सटा हुआ है। एक ओर बांग्लादेश और नेपाल तो दूसरी तरफ बंगाल। चारों जिलों में नदियों का जाल। इन नदियों की कभी सुस्त तो कभी तेज चाल। नार्थ ईस्ट के प्रवेश द्वार के तौर पर पहचान रखने वाले इस इलाके में विकास का सूर्योदय भी हो चुका है। पूर्णिया एयरपोर्ट शुरू हो चुका है। यहां से रोजाना पांच फ्लाइट से हजारों लोगों का आवागमन हो रहा है। रेल कनेक्टिविटी भी मजबूत हुई है। वंदे भारत और अमृत भारत समेत कई ट्रेनों की सौगात मिली है।

पूर्णिया, कटिहार, अररिया, किशनगंज में सड़कों का जाल बिछा है। हाईवे पर विकास की डगर भर रहे सीमांचल की चिंता भी है। रोजी-रोजगार के लिए दर बदर होने का दर्द है। उच्च शिक्षा और रोजगार के लिए हर दिन यहां से पलायन होता है। सीमांचल डुब्बा इलाका है। इसलिए बाढ़ पीड़ितों की अपनी टीस है। सीमांचल के चारों जिलों में 80 फीसदी लोगों की आजीविका अब भी खेतीबाड़ी और पशुपालन है। मक्का व मखाना ने किसानों को आर्थिक तौर पर समृद्ध बनाया है। इथेनॉल प्लांट लगने से मक्के की खपत बढ़ गयी है।

मक्के की एमएसपी तय होने के साथ इसकी सरकारी स्तर पर खरीद हो तो किसान और समृद्ध होंगे। खाद-बीज की किल्लत भी किसानों के लिए कई बार परेशानी का सबब बन जाता है। सीमांचल के चारों जिलों खासकर पूर्णिया में कई औद्योगिक इकाइयां हैं। मगर कुटीर उद्योग को प्रमुखता देने की जरूरत है। सीमांचल है..इसलिए इन तमाम मुद्दों के बावजूद दल चाहे कोई भी हो..मतदाता का दिल जीतने के लिए वह वोट बैंक की राजनीति करने से गुरेज नहीं करते हैं।

वोटर भी सियासी फिरकी में फंसने के बाद घूम-फिरकर वहीं पहुंच जाते हैं। तभी तो भट्ठा बाजार के मच्छली मंडी में विक्रेता शंकर कहते हैं…पहले मौसम कुछ था, अब मिजाज कुछ और है। इसी तरह कटिहार जिले के मतदाता विजय ठाकुर बयां करते हैं…प्रत्याशियों के चेहरे को लेकर कुछ नाराजगी जरूर है, लेकिन दलों से किसी को शिकवा नहीं।

सीमांचल में चार जिले पूर्णिया, कटिहार, अररिया और किशनगंज में कुल 24 सीटें हैं। पूर्णिया और कटिहार में सात-सात तो अररिया में छह और किशनगंज में चार सीटें हैं। यहां एनडीए और महागठबंधन के बीच मुख्य मुकाबला है, जबकि कुछ सीटों पर ओवैसी तो कुछ पर जनसुराज के प्रत्याशी मुकाबले को रोचक बना रहे हैं।

सीमांचल में दो मंत्री पूर्णिया के धमदाहा से जदयू प्रत्याशी लेशी सिंह, अररिया के सिकटी से भाजपा के विजय कुमार मंडल, कटिहार सदर से पूर्व डिप्टी सीएम भाजपा प्रत्याशी तारकिशोर प्रसाद, अमौर सीट से एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरूल ईमान, राजद के संतोष कुशवाहा धमदाहा से और जदयू के दुलाल चंद गोस्वामी कदवा से और दो भाई तस्लीमुद्दीन के पुत्र जोकीहाट से प्रत्याशी शाहनवाज आलम और सरफराज आलम की किस्मत का फैसला मतदाता 11 नवंबर को करने वाले हैं।

2020 के विधानसभा चुनाव में यहां एनडीए व महागठबंधन को 50-50 फीसदी सीटें मिली थीं। इस बार एनडीए एवं महागठबंधन के बीच कांटे का मुकाबला है। कटिहार सदर सीट से पूर्व डिप्टी सीएम तारकिशोर का मुकाबला वीआईपी प्रत्याशी भाजपा एमलएसी अशोक अग्रवाल के पुत्र सौरभ अग्रवाल से है। कदवा सीट से पूर्व सांसद जदयू प्रत्याशी दुलाल चंद गोस्वामी और कांग्रेस के शकील अहमद खान आमने-सामने हैं।

कोढ़ा, प्राणपुर, मनिहारी, बलरामपुर, बारसोई में भी एनडीए-महागठबंधन के बीच ही मुख्य मुकाबला है। अररिया जिला की सिकटी सीट से एनडीए से मंत्री विजय कुमार मंडल खड़े हैं। इन्हें महागठबंधन से वीआईपी के हरिनारायण प्रामाणिक चुनौती दे रहे हैं। जोकीहाट से दो भाई पूर्व मंत्री राजद से शहनवाज आलम और जनसुराज से सरफराज आलम एक-दूसरे को टक्कर दे रहे हैं। किशनगंज में चार सीटें हैं। चारों पर एनडीए और महागठबंधन के बीच मुकाबला है। कुछ सीटों पर एआईएमआईएम व जनसुराज भी जीत-हार फैक्टर बन सकता है।

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