हिंदू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का बहुत खास महत्व है। इस पावन दिन को त्रिपुरारी पूर्णिमा और देव दिवाली भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस तिथि पर भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध किया था और देवताओं ने इस खुशी में दीप जलाकर उत्सव मनाया था। इसी वजह से इस दिन गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान और दान का विशेष महत्व है। कहा जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा पर किए गए पूजा-पाठ, व्रत और दान से घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है और मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।
इस दिन दीपक जलाना सबसे बड़ा पुण्य माना गया है। घरों में, आंगन में, मंदिर में, छत पर और तुलसी माता के पास दीप जरूर जलाएं। इसे करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और जीवन में उजाला और तरक्की होती है।
चावल, आटा, दाल जैसे अन्न का दान बेहद शुभ है। कहा गया है कि जो जरूरतमंदों को अन्न देता है, उसके घर में कभी कमी नहीं होती।
ठंड का समय होने की वजह से गरीबों को कंबल और गर्म कपड़े देना बेहद पुण्यदायक माना जाता है। इससे भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी दोनों प्रसन्न होते हैं।
इन चीजों का दान विशेष फल देता है। यह दान सेहत, सौभाग्य और अच्छे भाग्य को बढ़ाने वाला माना गया है।
ब्राह्मणों, साधुओं और जरूरतमंदों को फल और शुद्ध मिठाई दान करना बहुत शुभ होता है। ऐसा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और परिवार में खुशहाली आती है।
शाम के समय तुलसी माता के पास घी का दीपक जलाएं। इससे घर में शांति, लक्ष्मी कृपा, और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है
रात को चंद्रदेव को दूध या जल में शक्कर मिलाकर अर्घ्य दें। इससे मन की शांति, चित्त स्थिरता और शुभ समाचार मिलते हैं।
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जप करें और भगवान को तुलसी जी अर्पित करें।
सुबह ब्रह्ममुहूर्त में शिवलिंग पर जल, तिल और दूध चढ़ाएं।
इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य है और सटीक है। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
